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उदयपुर

एमएलएसयू में ऐसा क्या हुआ कि परीक्षाएं करनी पड़ी स्थगित

मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय इन दिनों कर्मचारियों और कुलपति के बीच कुछ समस्याओं को लेकर चल रहे टकराव के कारण सुर्खियों में है।

उदयपुरMar 21, 2024 / 07:24 pm

Madhusudan Sharma

एमएलएसयू में ऐसा क्या हुआ कि परीक्षाएं करनी पड़ी स्थगित

एमएलएसयू में ऐसा क्या हुआ कि परीक्षाएं करनी पड़ी स्थगित

मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय इन दिनों कर्मचारियों और कुलपति के बीच कुछ समस्याओं को लेकर चल रहे टकराव के कारण सुर्खियों में है। पुरानी मांगों का समाधान हुआ नहीं और अब अशैक्षणिक कर्मचारियों को हटाए जाने के आदेश से विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है। इस आदेश के बाद कर्मचारी लामबद्ध हो गए और बुधवार को काम छोड़कर धरने पर बैठ गए। अशैक्षणिक कर्मचारियों ने काली पटटी बांधकर सरकार की ओर से अचानक हटाने के निर्णय का विरोध भी किया। लेकिन इस विरोध का असर विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षाओं पर भी पड़ा है। अशैक्षणिक कर्मचारियों ने उन्हे हटाने के आदेश को तुगलकी फरमान बताया। शिक्षा ग्रुप -4 के 327 अशैक्षणिक कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद कार्मिकों ने कामकाज छोड़कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया।

परीक्षाएं 30 मार्च तक स्थगित

इधर अशैक्षणिक कर्मचारियों के विरोध का असर विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षाओं पर भी पड़ा है। इस संबंध में परीक्षा नियंत्रक राजेश चन्द्र कुमावत ने बताय कि परीक्षाएं 21 से 30 मार्च तक के लिए अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गई है। स्थगित परीक्षाओं की समय सारणी अलग से घोषित की जाएगी, जिसकी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी जाएगी।

उच्च शिक्षा ग्रुप-4 को 2017 में लिखा था पत्र

गौरतलब है कि एमएलएसयू के कुलसचिव ने 18 अप्रेल 2017 को एक पत्र संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग ग्रुप-4 को भेजा था। इसमें हवाला दिया था कि छात्रों की मांग के आधार पर प्राध्यापकों की नियुक्ति की जाती रही है। स्व वित्त पोषित योजना के तहत इनको विवि में लगाया जाता है। जिनका कार्यकाल पहले पांच माह था और बाद में छह माह कर दिया गया था।

जून 2017 में सरकारी ने दिए ये निर्देश

विश्वविद्यालय की ओर से अप्रेल में भेजे गए पत्र के बाद राजस्थान सरकार के शिक्षा ग्रुप-4 विभाग ने 7 जून 2017 में एक आदेश एमएलएसयू के कुलसचिव को दिया। जिसमें स्पष्ट किया संविदा के आधार पर लिए जाने वाले प्राध्यापक की स्वीकृति इस आधार पर प्रदान की जाती है कि राज्य सरकार की ओर से किसी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी। सरकार का कोई वित्तीय दायित्व भी नहीं होगा। स्ववित्त पोषित योजना के माध्यम से ही इनका संचालन करना होगा।

वित्त नियंत्रक ने हस्ताक्षर से किया इनकार

अशैक्षणिक कर्मचारियों ने बताया कि वित्त नियंत्रक के पास जनवरी और फरवरी की सैलेरी के कागज लेकर गए थे, लेकिन उन्होंने साइन करने से इनकार दिया। ऐसे में इनको फिर निराशा हाथ लगी।

अब आगे क्या…

अशैक्षणिक कर्मचारियों ने बताया कि इस मसले को लेकर रजिस्ट्रार श्वेता फगेडि़या से मुलाकात की गई थी। इस पर उन्होंने इस मामले में दो दिन का समय मांगा है। वे इसको लेकर राज्य सरकार से मांगदर्शन मांगेगी। फगेडि़या ने कर्मचारियों को काम पर लौटने की बात कही तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। कर्मचारियों ने कहा कि दो दिन तक सुबह दस से पांच तक प्रशासनिक भवन में बैठकर ही विरोध जारी रखेंगे। अब सरकार से दो दिन बाद क्या रिपोर्ट आती है। इसके बाद निर्णय किया जाएगा।

कुलपति ने माना बोर्ड का गठन नियमानुसार नहीं

एमएलएसयू की कुलपति सुनीता मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय की 2017 में तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही के कारण सेल्फ फाइनेंस स्कीम में की जाने वाली शैक्षणिक कर्मचारियों की सेवाओं में अशैक्षणिक कर्मचारियों को भी जोड़ दिया गया। इसके लिए एक बोर्ड भी बनाया जो कि नियमानुसार सही नहीं था। इसी कारण सरकार ने 327 अशैक्षणिक सेल्फ फाइनेंस बोर्ड कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का आदेश आया।

सरकार से पुनर्विचार की मांग

कुलपति मिश्रा ने बताया कि अशैक्षणिक कर्मचारियों को हटाने के इस आदेश से फिलहाल चल रही परीक्षाओं से संबंधित कार्य बाधित हो सकते हैं, इसलिए सरकार से पत्र लिखकर इस पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है ताकि परीक्षा संबंधी कार्य और अन्य प्रशासनिक कामकाज बाधित न हो। इसके साथ ही सेल्फ फाइनेंस के तहत जो कर्मचारी पिछले 15-20 वर्षों से काम कर रहे हैं, उनकी सेवाएं भी जारी रखने के लिए एक पत्र रजिस्ट्रार के माध्यम से सरकार को लिखा है।

10 दिन में 300 पेपर प्रभावित

जानकारी के अनुसार एमएलएसयू प्रतिदिन 30 पेपर विभिन्न विषयों के हो रहे हैं। परीक्षा आगामी आदेश तक स्थगित किए जाने से अब 10 दिन में करीब 300 पेपर प्रभावित होंगे। ये परीक्षाएं कब होगी इसको लेकर अभी विश्वविद्यालय के पास कोई जवाब नहीं है।

इनका कहना है

अशैक्षणिक कर्मचारियों को हटाने संबंधित आदेश हमारे पास आ गया है। इस पर विचार करने के लिए वीसी को भेजा गया है।

श्वेता फगेडि़या, रजिस्ट्रार, एमएलएसयू

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