WATCH : उदयपुर के ऑक्सीजन हब गुलाबबाग में ये क्या हो रहा है…
झीलों की नगरी उदयपुर में गुलाबबाग ऑक्सीजन पॉकेट है लेकिन अभी तस्वीर कुछ और है
UDAIPUR
GULABBAG
WATCH : उदयपुर के ऑक्सीजन हब गुलाबबाग में ये क्या हो रहा है
मुकेश हिंगड़ / प्रमोद सोनी. उदयपुर. हरियाली के बीच ताजा हवा और सुकून के लिए उदयपुर (UDAIPUR) वाले किसी जगह अपना समय बिताते है तो उसका नाम है गुलाबबाग ( GULABBAG )। फतहसागर-पिछोला झील उदयपुर की प्यास बुझाने की लाइफलाइन है तो गुलाबबाग हमारा ऑक्सीजन पॉकेट है। राजा-महाराजा ने जिस गुलाबबाग को बनाया वह इन दिनों संकट में है, यह अलग बात है कि उसके बाद हमारे शहर में वैसा बाग नहीं बन सका लेकिन बाग में आने वालों की चिंता है जो बना है उसे तो संभाल लिया जाए। असल में बाग का जो रूप आज है वह परेशान करने वाला है।
गुलाबबाग में सुबह और शाम को घूमने और दिन में सुकून के पल बिताने आने वालों को आज की तस्वीर देखकर दिल दु:ख रहा है। वहां बरसों से शुद्ध हवा के बीच रहने वाले लोगों का कहना था कि जो तस्वीर आज इस बाग की हुई है उसे नहीं संभाला तो ठीक नहीं होगा। गुलाबबाग घूमने वाले वरिष्ठजनों का कहना है कि मसाला चौक बनाने का काम नगर निगम ने हाथ में लिया, कोर्ट ने इसमें राहत दी वरना इस ऑक्सीजन पॉकेट में व्यवसायिक गतिविधियां के साथ प्रदूषण बढ़ाने का काम होता। मिराज पार्क के पास कचरे का डम्पिंग यार्ड बना रखा है, बाग का पूरा कचरा यहां एकत्रित किया जाता है जो पिछले कई दिनों से हटाया नहीं गया, निगम का तर्क है बारिश के समय इसका खाद बनाने के उपयोग में लिया जाएगा लेकिन बाग में आने वाले लोगों का कहना है कि यहां शुद्ध हवा लेने आते है दुर्गंध लेने नहीं।
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अब वह सब नहीं इस बाग में
जब गुलाबबाग बनाया गया था तब एक विजन था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है। गुलाबबाग में एक बड़े भाग पर गुलाब, अमरूद, आम व किकर के पेड़ लगाए गए थे लेकिन आज उनमें से कई पेड़ ही नहीं है, चंदन के पेड़ों की चोरी होना आम हो गया है।
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ऐसी सूरत हो गई गुलाबबाग की
– डम्पिंग यार्ड बनाया : मिराज पार्क के पास डम्पिंग यार्ड बना दिया गया। वहां पर बड़ी मात्रा में भराव व कचरा पड़ा है। शुद्ध हवा लेने वाले उसकी दुर्गंध से परेशान है
– ओपन जिम टूटे पड़े : स्मार्ट सिटी के तहत जो ओपन जिम लगाए गए है उनमें से कई टूटे पड़े है।
– उजाड़ पड़ी जमीन : ओपन जिम के पीछे की जमीन उजाड़ पड़ी है, वहां पेड़ लगने थे।
– जगह-जगह रास्ते : गुलाबबाग में जगह-जगह रास्ते बना दिए गए है, जो बाग को खराब कर रहे है, इन रास्तों पर बजरी व चिकनी मिट्टी ङालने से चलना मुश्किल हो गया है।
– कंक्रीट के जंगल : गुलाबबाग में जगह-जगह सीमेंट के कंक्रीट खड़े हो गए है।
– निर्माण सामग्री पड़ी : बाग में जगह-जगह निर्माण सामग्री पड़ी हुई है।
– समोर बाग के सामने के दोनों गेटों की तस्वीर बहुत खराब है।
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रखरखाव तो कर सकते
राजा-महाराजा ने जिस तरह इस बाग को बनाया वैसा बाग दूसरा नहीं बना सकते है लेकिन इसे संभाल तो सकते है। इसके रखरखाव पर ध्यान देना जरूरी है नहीं तो यह बाग कभी बाग नहीं रहेगा।
– जमनालाल वारी (वरिष्ठ नागरिक)
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पानी के रास्ते ही बंद
बाग में प्राकृतिक रूप से पानी आने के जो रास्ते है वे बंद है। अपने आप ही पूरे बाग को यह पानी रीचार्ज करता था, अब वे प्राकृतिक रूप ही नहीं दिखने को मिलता है।
– विनोद गुप्ता, (वरिष्ठ नागरिक)
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फव्वारें भी खराब है
कमल तलाई में बहुत पैसा लगाया जो बर्बाद ही हुआ है। तलाई से पहले जो इसका प्राकृतिक रूप था वह सही था। पार्क में जो फव्वारें लगे है वे भी खराब है।
– राजकुमार भटनागर, (वरिष्ठ नागरिक)
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घास ऐसी लगाई कि कोई बैठ नहीं सकते
गांधीजी की प्रतिमा के सामने जो घास लगाई है उस पर कोई बैठ नहीं सकता है। पैसा भी बर्बाद किया और वह पार्क भी काम नहीं आ रहा है।
– महेश शर्मा, (वरिष्ठ नागरिक)
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निगम सुरक्षा तो मजबूत करें
पार्क में बदहाल बहुत है। सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं है, आए दिन चंदन पेड़ चोरी हो रहे है। जगह-जगह पार्क को नुकसान हो रहा है उसे संभाल तक नहीं रहे है। कलक्टर को भी शिकायत दी है।
– गजेन्द्र सिंह राठौड़
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