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परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि आवश्यकता होने से वह 6 अगस्त को अपने टै्रक्टर में रेत लेकर घर जा रहा था। रास्ते में थाने के पास चौराहे पर थानाधिकारी दौलतसिंह व कांस्टेबल सलमान ने ट्रैक्टर को रोककर थाने में खड़ा करवा दिया। कांस्टेबल ने ट्रैक्टर छोडऩे के एवज में 12 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। विनती करने पर सात हजार लेने पर राजी हुआ तथा तीन हजार रुपए हाथोंहाथ ले लिए। ब्यूरो ने 10 अगस्त को सत्यापन करवाया तो कांस्टेबल ने ट्रैक्टर छोडऩे के एवज में पूर्व में लिए तीन हजार रुपए स्वयं व थानाधिकारी द्वारा लेने बताए तथा तीन हजार रुपए की और मांग की। परिवादी की राशि कम करने की मांग पर वह दो हजार पर मान गया।
कांस्टेबल ने खुद को कर लिया मैस में बंद आरोपी कांस्टेबल ने परिवादी से रिश्वत के दो हजार रुपए लेने के बाद उसे थानाधिकारी दौलतसिंह के मिलवाया। इस दौरान परिवादी ने दो-तीन माह की छूट मांगी तो थानाधिकारी ने कहा कि दो-तीन माह क्या होता है। उसी समय इशारा पाकर एसीबी की टीम जब वहां पहुंची तो आरोपी कांस्टेबल थाने के पीछे से भागता हुआ मैस में घुस गया। दरवाजा बंद कर उसने रिश्वत राशि को जलाने का प्रयास किया। एसीबी टीम ने गेट को जबरन खोलते हुए राशि बरामद की तथा थानाधिकारी व उसे गिरफ्तार किया।