बच्चों को जन्म के नवें महीने में मिजल्स मम्प्स एण्ड रूबेला (एमएमआर) का पहला एवं 15वें महीने में दूसरा टीका लगाया जा रहा था। बाद में 5वें वर्ष में इसका बूस्टर टीका लगाया जा रहा था तो फिर इस टीके की जरूरत क्यों? अचानक यह अभियान इस तरह लागू करना क्यों और कितना जरूरी है।
कोई खास शोध नहीं : मिजल्स के वायरस मोर्बिली एवं खसरे के वायरस पैरामिक्सो के जीन्स म्यूटेशन हो गया हो और अब नए सिरे से टीकाकरण की जरूरत हो, ऐसा कोई शोध सामने नहीं आया है।
— किसी भी प्रकार के टीके, दवा या मेडिकल शोध के लिए गिनीपिग का इस्तेमाल किया जाता रहा है। गिनीपिग या गिनी सूअर, जिसे वैज्ञानिक नाम केविआ पोर्सेलस है। इसका उपयोग कई प्रकार के शोध के लिए किया जाता है। ऐसे में यदि कोई शोध किया जा रहा है तो क्या हमारे बच्चे गिनीपिग है ? यह बड़ा सवाल है।
— टीकाकरण का एक फेज पांच वर्ष की उम्र तक पूरा हो जाता है। एक बार टीका लगने के बाद बच्चे में उस रोग को लेकर उम्र भर के लिए प्रतिरोधकता आ जाती है। दस वर्ष में ऐसी कौनसी प्रतिरोधकता घट गई जिसके लिए पन्द्रह वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया गया है।
यदि हमने बच्चों का टीका लगवा लिया है, तो वे सुरक्षित हो गए। मगर कुछ अन्य बच्चे जो इसमें छूट गए हैं, उनसे संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है। यदि यह टीका ग्रुप में लगाया जाता है तो सुरक्षा घेरा मजबूत होता है, जिससे वायरस का संक्रमण रुक जाता है। ऐसे वायरस फल फूल नहीं पाएगा जिसे हर्ड इम्यूनेटिंग ऑफ पॉपुलेशन कहा जाता है।
डॉ अक्षय व्यास, डब्ल्यूएचओ एसएमओ उदयपुर