डिजीटल एप से जानते हैं फसल बचाने के तरीके मदनलाल ने स्मार्ट फोन में किसानों के संबंधित एग्रो एप डाउनलोड कर रखा है। इस एप के माध्यम से जानकारी मिलती रहती हैं कि आगामी दिनों में मौसम में क्या परिवर्तन होने वाला है और फसलों के बचाव के लिए क्या जतन किए जाएं। वहीं इस एप से मदनलाल पूरा फायदा उठा रहे हैं। मदनलाल पौधों में रोग लगने पर उसका फोटो लेकर एप पर अपलोड करते हैं जिस पर आगे से उनको बचाव के लिए दवा बता दी जाती है। इस पर मदनलाल भीण्डर से दवा खरीद कर पौधों पर छिडक़ाव करके बचाव करते हैं।
एक बीघा जमीन पर पौधों के बचाव के लिए तारबंदी के साथ जाल लगा रखा है ताकि पक्षियों से फल का बचाव हो सके। इसके अलावा जनवरी-फरवरी में फल की पैदावार के बाद गर्मी के दिनों में पौधों की छंटाई भी की जाएगी। कृषक मदनलाल ने बताया कि एप्पल बेर के अलावा 80 अमरूद के पौधे, पपीते सहित अन्य पौधे भी लगा रखे हैं।
सालेड़ा निवासी मदनलाल जणवा के पास एक बीघा कृषि भूमि है। इस भूमि पर वह वर्ष भर में दो फसलें कर मुश्किल से 20 हजार रुपए भी नहीं कमा पा रहा था। वर्ष 2017 में पत्नी कविता जणवा का इलाज करवाने के लिए मध्यप्रदेश के जलोदा में गए। वहां से लौटते समय रास्ते में एक खेत पर बेर लगे देखे तो रुक कर किसान से जानकारी ली। इसके बाद घर लौटे तो कविता ने पति को भी एक बीघा खेत पर एप्पर बेर लगाने के लिए प्रेरित किया तो पति मदनलाल ने कहा कि मैं नौकरी करने जाता हूं। इस कारण ज्यादा समय दे नहीं पाऊंगा। कविता ने पहल कर खेत का काम पूरी जिम्मेदारी से सम्भालने की बात कही। मदनलाल ने मध्यप्रदेश जाकर किसान से सम्पर्क कर अपने एक बीघा खेत पर मई, 2017 में 280 एप्पल बेर के पौधे लगाए। पहली बार जनवरी, 2018 में फल आए तो दो माह में करीब 20 क्विंटल फल हुए और उससे केवल 40 हजार रुपए प्राप्त हुए लेकिन वर्ष 2019 में दो माह में अभी तक करीब 80 क्विंटल फल विक्रय कर चुके है। अभी भी करीब 20 क्विंटल फल विक्रय होने की उम्मीद है।