कांकरोली से आए सम्पत सुरीला ने हास्य पैरोडियों की प्रस्तुति दी। ‘मेरे रश्के-कमर तूने आलू मटर, इतना अच्छा बनाया मजा आ गया’ ने श्रोताओं को गुदगुदाया। कोटा के गीतकार लोकेश मृदुल ने ‘फेसबुक पर आया तुम्हारा लव लेटर, धक-धक धडक़े मेरा जनरेटर’ और राधा-कृष्ण के प्रेम पर रचनाएं प्रस्तुत कीं। नाथद्वारा से आए लोकेश महाकाली ने ‘आते हो तो आओ मेरी बला से, जाते हो तो जाओ मेरी बला से’ समेत राजनेताओं पर व्यंग्य कसती कई छोटी रचनाएं और चुटकले सुनाए।
इंदौर की भुवन मोहिनी ने श्रृंगार रस की रचनाएं पेश कीं। इनमें ‘एक अधूरी कहानी तो मुझमें भी है, धडक़े दिल वो जवानी मुझमें भी है। तुम जो छू लो तो शिवालय बनूं, एक मीरा दीवानी मुझमें भी है’ शामिल थी। बुंदेलखंड से आए मंच संचालक सुमित ओरछा और भुवन मोहिनी की काव्यात्मक नोक-झोंक ने श्रोताओं का मनोरंजन किया। दोनों ने एक-दूसरे पर तंज कसते हुए कई रचनाएं प्रस्तुत कीं। सुमित ओरछा ने असहिष्णुता के मुद्दे पर व्यंग्य कसते हुए रचना प्रस्तुत की- ‘हमले हमने नहीं किए, बस हमने सहना छोड़ दिया।’ अंत में बीनू गौतम ने भी रचनाएं सुनाईं।
इससे पहले ग्वालियर के चीफ आईटी कमिश्नर अशोक खंडेलवाल, उनकी पत्नी नीता, बाबूलाल मित्तल, श्याम गर्ग, अनिल पितलिया और कवियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में राजस्थान पत्रिका, सूरत के संपादकीय प्रभारी राजेश कसेरा, प्रबंधक संदीप जैन, स्टेट हेड सुरेन्द्र मिश्रा, मंडल के संस्थापक दीनदयाल अग्रवाल और सदस्य उपस्थित थे।