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सूरत

जोश और जज्बे के साथ सेना में भर्ती के लिए बहा रहे हैं पसीना

‘वक्त आने दे दिखा देंगे तुझे ए आसमां, हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है’.. बिस्मिल अजीमाबादी की यह पंक्तियां हर उस देशभक्त के जज्बात को…

सूरतFeb 22, 2019 / 12:36 am

मुकेश शर्मा

Josh and Jazbe are shedding in the army for recruitment

Josh and Jazbe are shedding in the army for recruitment

सूरत।‘वक्त आने दे दिखा देंगे तुझे ए आसमां, हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है’.. बिस्मिल अजीमाबादी की यह पंक्तियां हर उस देशभक्त के जज्बात को बयान करती हैं, जिनके लिए देश सर्वोपरि है, जो देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का माद्दा रखते हैं। यही माद्दा सूरत के उन 35 युवकों में नजर आ रहा है, जो सेना में भर्ती के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर पसीना बहा रहे हैं। साधनों और सुविधाओं का अभाव भी इनके रास्ते की दीवार नहीं बन सका है। इनमें से कई युवक तो परिवार के इकलौते चिराग हैं।

डिंडोली की सांई दर्शन सोसायटी निवासी 20 वर्षीय विशाल मुरलीधर पाटिल पिता के देहांत के बाद मां का इकलौता सहारा है। वह यूं तो बी.इ. मेकेनिकल की पढ़ाई कर रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में करियर बनाने के बजाए उसकी ख्वाहिश सेना में भर्ती होने की अधिक है। दो साल से वह तैयारी कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद उसका जब्जा और बढ़ गया है। विशाल की तरह गोपाल सोनवणे, सागर ठाकुर और जिज्ञेश पाटिल भी परिवार के इकलौते चिराग हैं। ये भी आसान नौकरी के बजाए सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनका परिवार भी उनके सपनों के साथ है। इनके अलावा 30 से अधिक युवा डिंडोली क्षेत्र में सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे हैं।

उनकी मजबूरी यह है कि न तो उनके लिए कोई प्रशिक्षित कोच है और न प्रेक्टिस के लिए कोई मैदान। उन्होंने डामर की सडक़ों को ही अपना मैदान बना लिया है। सुबह-शाम सभी युवक डामर की सडक़ पर ही कड़ा परिश्रम कर रहे हैं, ताकि एक दिन उनको सेना की वर्दी पहनने का गौरव हासिल हो। इन युवकों ने अपना एक ग्रुप ‘दौड़ यही जिंदगी’ बना रखा है, जिनमें अधिकतर युवा आर्थिक तौर पर कमजोर हैं।

ग्रुप से सात युवक गए भारतीय सेना में

इस ग्रुप के युवा दो साल से सेना में भर्ती के लिए निरंतर अभ्यास कर रहे हैं। सेना या अर्धसैनिक बल में जब भी भर्ती निकलती है, आवेदन करते हैं। ग्रुप के सात सदस्यों में अजय चित्ते, नीलेश कांबले, दीपक मराठे, योगेश पाटिल, संदीफ थालोर, श्रीकेश यादव और महेश पाटिल सेना में भर्ती हो चुके हैं।

खुद का खर्च चलाने को कर रहे नौकरी भी

सूरत औद्योगिक नगरी है और यहां रोजगार के कई अवसर उपलब्ध हैं। इसके बावजूद दौड़ यही जिंदगी ग्रुप से जुड़े 35 से अधिक युवा सेना में भर्ती के लिए उत्साहित है। यह संख्या लगातार बढ़ भी रही है। विशाल ने बताया कि शुरू में तीन-चार दोस्तों के साथ अभ्यास करना शुरू किया। इनको मलाल यही है कि अभ्यास के लिए इनके पास आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं। परिवार की आर्थिक मदद के लिए पढ़ाई के साथ नौकरी भी करनी पड़ रही है।

मैदान के लिए सबसे लगाई गुहार, कोई सुनने को तैयार नहीं

सेना में भर्ती होने के लिए लगातार परिश्रम कर रहे इन ग्रुप के सदस्यों की परेशानियों को देखते हुए क्षेत्र के संदीप तोरवणे ने एक साल पहले बिल्डर से बात कर अभ्यास के लिए खाली पड़ा प्लॉट दिलवाया था। अपने खर्च से उन्हें मैदान तैयार करके भी दिया, लेकिन बिल्डर ने उस प्लॉट पर निर्माण कार्य शुरू किया तो युवकों को मैदान छोडऩा पड़ा। इसके बाद लगातार जनप्रतिनिधियों से मैदान के लिए गुहार लगाई जा रही है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

संदीप पाटील

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