मौसम किसानों के पक्ष मेंं बना हुआ
असिंचित क्षेत्रों में किसान मानसून के अंतिम चरण में जुताई करके नमी संरक्षित कर लेते हैं। किसानों का कहना है मानसून में इस बार कम बारिश के चलते रबी की बुवाई में परेशानी हो रही है। अब खेतों में जलकूप, नहर और सिंचाई के अन्य स्रोतों से रबी की बुवाई हो रही हैं। रबी में चना, अरहर, सरसों की सर्वाधिक खेती होती है। दुधनी में जलाशय से गेहूं और सब्जियां पैदा करते हैं। दादरा नगर हवेली नम क्षेत्र होने से शीत ऋतु में सरसों व चने की फसल तैयार होने के लिए सिर्फ एक-दो सिंचाई की जरूरत पड़ती है। रबी में मैदानी क्षेत्रों की चिकनी दोमट्ट मिट्टी द्वि-बीजपत्री फसलों के लिए अति उत्तम है। आंबोली, खेरड़ी, खानवेल, दपाड़ा, नरोली के खेतों में खरीफ की कटाई के तुरंत बाद रबी की बुवाई आरम्भ हो जाती हैं। इस बार ठंडक ने समय पर दस्तक दी है, जिससे मौसम किसानों के पक्ष मेंं बना हुआ है। कृषि अधिकारी सुरेश भोया ने बताया कि किसान शीत ऋतु में चना, सरसों, अरहर को अधिक तवज्जो देते हैंं। रोजगार के अभाव से रबी में भी खेती का ग्राफ बढ़ रहा है।
असिंचित क्षेत्रों में किसान मानसून के अंतिम चरण में जुताई करके नमी संरक्षित कर लेते हैं। किसानों का कहना है मानसून में इस बार कम बारिश के चलते रबी की बुवाई में परेशानी हो रही है। अब खेतों में जलकूप, नहर और सिंचाई के अन्य स्रोतों से रबी की बुवाई हो रही हैं। रबी में चना, अरहर, सरसों की सर्वाधिक खेती होती है। दुधनी में जलाशय से गेहूं और सब्जियां पैदा करते हैं। दादरा नगर हवेली नम क्षेत्र होने से शीत ऋतु में सरसों व चने की फसल तैयार होने के लिए सिर्फ एक-दो सिंचाई की जरूरत पड़ती है। रबी में मैदानी क्षेत्रों की चिकनी दोमट्ट मिट्टी द्वि-बीजपत्री फसलों के लिए अति उत्तम है। आंबोली, खेरड़ी, खानवेल, दपाड़ा, नरोली के खेतों में खरीफ की कटाई के तुरंत बाद रबी की बुवाई आरम्भ हो जाती हैं। इस बार ठंडक ने समय पर दस्तक दी है, जिससे मौसम किसानों के पक्ष मेंं बना हुआ है। कृषि अधिकारी सुरेश भोया ने बताया कि किसान शीत ऋतु में चना, सरसों, अरहर को अधिक तवज्जो देते हैंं। रोजगार के अभाव से रबी में भी खेती का ग्राफ बढ़ रहा है।
मौसम में बदलाव, ठंडक का अहसास
सिलवासा. दीपावली के बाद वातावरण में ठंडक का अहसास होने लगा है। रात अधिक ठंडी होने लगी हैं। प्रदेश में नवम्बर के शुरुआत से तापमान में गिरावट का दौर जारी है। आसमान साफ से तापमान में तेजी से गिरावट आई है। ठंडक बढऩे से लोगों को सवेरे धूप अच्छी लगने लगी है। मंगलवार को शहर अधिकतम तापमान 28.4 तथा न्यूनतम तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस रहा। शीत ऋतु आरम्भ होते ही बाजारों में कम्बल एवं ऊनी कपड़ों के ढेर लग गए हैं। दुकानें गर्म कम्बल, शॉल, स्वेटर, कोट आदि से सज गई हैं। लोगों ने गर्म कपड़ों की खरीदारी शुरू कर दी है। मूंगफली, चायनीज की लारियों पर भीड़ होने लगी है। शीत ऋतु के दिसम्बर और जनवरी माह सबसे अधिक ठंडे होते हैं। सर्दी में न्यूनतम तापक्रम 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। लोगों की दिनचर्या बदल गई है। भोर में नमी धुंध में परिवर्तित होने लगी है। ठंडक बढ़ते ही सवेरे लोग मॉर्निंग वॉक पर गर्म कपड़े पहनकर घरों से निकल रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस बार ठंडक में इजाफा होने के आसार हैं। समय पर ठंडक दस्तक देने से किसान खुश हैं। तापमान में गिरावट से रबी की फसलों को खासा लाभ मिलेगा।
सिलवासा. दीपावली के बाद वातावरण में ठंडक का अहसास होने लगा है। रात अधिक ठंडी होने लगी हैं। प्रदेश में नवम्बर के शुरुआत से तापमान में गिरावट का दौर जारी है। आसमान साफ से तापमान में तेजी से गिरावट आई है। ठंडक बढऩे से लोगों को सवेरे धूप अच्छी लगने लगी है। मंगलवार को शहर अधिकतम तापमान 28.4 तथा न्यूनतम तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस रहा। शीत ऋतु आरम्भ होते ही बाजारों में कम्बल एवं ऊनी कपड़ों के ढेर लग गए हैं। दुकानें गर्म कम्बल, शॉल, स्वेटर, कोट आदि से सज गई हैं। लोगों ने गर्म कपड़ों की खरीदारी शुरू कर दी है। मूंगफली, चायनीज की लारियों पर भीड़ होने लगी है। शीत ऋतु के दिसम्बर और जनवरी माह सबसे अधिक ठंडे होते हैं। सर्दी में न्यूनतम तापक्रम 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। लोगों की दिनचर्या बदल गई है। भोर में नमी धुंध में परिवर्तित होने लगी है। ठंडक बढ़ते ही सवेरे लोग मॉर्निंग वॉक पर गर्म कपड़े पहनकर घरों से निकल रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस बार ठंडक में इजाफा होने के आसार हैं। समय पर ठंडक दस्तक देने से किसान खुश हैं। तापमान में गिरावट से रबी की फसलों को खासा लाभ मिलेगा।