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25 साल बाद मंच पर होंगे वासुदेव भट्ट, नाटक में दिखेंगी तीन पीढि़यां

सीनियर कलाकारों ने शुरू किया ‘लहर’ इनिशिएटिव, शहर के प्रसिद्ध रंगकर्मी एक बार फिर से दिखेंगे रंगमंच पर, पांच जनवरी को रवीन्द्र मंच पर खेला जाएगा नाटक ‘सुबह होती है…अब होती है..अब होती है…’

जयपुरJan 02, 2019 / 09:10 pm

Anurag Trivedi

jaipur

25 साल बाद मंच पर होंगे वासुदेव भट्ट, नाटक में दिखेंगी तीन पीढि़यां

जयपुर। जयपुर रंगमंच के एक्टर और थिएटर डायरेक्टर वासुदेव भट्ट एक बार फिर रंगमंच पर एक्ट करते नजर आएंगे। लगभग 25 साल बाद वे नाटक में अहम किरदार निभाएंगे, वहीं अपने परिवार की तीन पीढि़यों के साथ रंगकर्म के प्रति जुनून को भी प्रदर्शित करेंगे। शहर के सीनियर कलाकारों ने मिलकर ‘लहर’ इनिशिएटिव शुरू किया है, इसमें शहर के ऐसे कलाकारों को फिर से रंगमंच से जोड़ा जा रहा है, जो इससे काफी दूर हो गए थे। इस इनिशिएटिव की पहली कड़ी में पांच जनवरी को नाटक ‘सुबह होती है…अब होती है… अब होती है’ की प्रस्तुति होगी। रंग शिल्प संस्थान के बैनर तले प्रस्तुत इस नाटक का निर्देशन तपन भट्ट करेंगे। साथ इसमें वासुदेव भट्ट के बेटे विशाल भट्ट और पौते संवाद भट्ट एक्ट करते दिखेंगे। नाटक में वरिष्ठ रंगकर्मी विनोद भट्ट और भगवंत कौर भी कई साल बाद थिएटर पर वापसी कर रही है। पंकज सुबीर की लिखी कहानी का नीरज गोस्वामी ने नाट्य रूपांतरण किया है। पत्रिका की टीम ने बुधवार का रवीन्द्र मंच पर नाटक की रिहर्सल देखी और कलाकारों के अनुभव जानें।
रवीन्द्र मंच ऑक्सीजन देता है
वासुदेव भट्ट ने कहा कि २५ साल बाद रवीन्द्र मंच पर वापसी कर रहा हूं, यहां मुझे अब वहीं माहौल नजर आने लगा है, जो पहले हुआ करता था। १९८८ तक एक्टिंग की और १९९२ में आखिरी प्ले किया। उसके बाद तमाशा का रिवाइव करना था और आज खुश हूं कि ६० साल तक तमाशा को कुछ नहीं होगा। रवीन्द्र मंच मुझे ऑक्सिन देता है, एेसे में यहां फिर से एक्ट करना बहुत खास हो गया है। बेटे के निर्देशन में यह नाटक हो रहा है और उसमे मेरी झलक नजर आती है। साथ ही इसमें बेटे और पौते के साथ अभिनय करने का मौका मिल रहा है, एेसे में यह नाटक बहुत खास हो गया है। वैसे जब मैं मंच पर होता हूं, तो रिश्तों को अलग रखता हूं और डायरेक्टर्स-एक्टर्स के नजरीए से ही बात होती है।
व्यस्थताओं ने रंगमंच से दूर कर दिया
विनोद भट्ट ने कहा कि १९७५ में रंगमंच से जुड़ा और लगभग २०-२५ साल एक्टिंग की। उस उस में जेवीवीएनएल में जॉब करता था और व्यस्थताओं ने रंगमंच से दूर कर दिया। अब १० साल से ज्यादा समय दूर रहने के बाद फिर से एक्टिंग की राह पकड़ी है। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि जिनके साथ रंगमंच शुरू किया था, उन्हीं के साथ वापसी कर रहा हूं। नाटक में अनिल मारवाड़ी, संवाद भट्ट जैसे ऊर्जावान एक्टर साथ में काम कर रहे हैं, इनके साथ ने मेरी एक्टिंग स्पीड़ को भी बढ़ा दिया है।
डायरेक्टर घर तक छोडऩे जाते थे
भगवंत कौर ने बताया कि कॉलेज के समय से ही एक्टिंग शुरू कर दी थी। १९७६ में पहला नाटक प्रस्तुत हुआ। उस दौरान तीन-तीन नाटक एक साथ हुआ करते थे, रात ११.३० बजे बाद फ्री होते थे। सरताज नारायण जैसे डायरेक्टर्स हमारी सिक्योरिटी का भी ध्यान रखते थे और साथ में घर तक छोडऩे जाते थे। बैंक में जॉब के दौरान जयपुर से बाहर जाना हो गया और फिर विदेश जाने से थिएटर से दूरी हो गई। अब फिर से रंगमंच से जुड़ गई हूं।
दादाजी के किस्से सुना करते थे
संवाद भट्ट ने कहा कि ‘मैंने अभी तक २० ही नाटकों में काम किया है, जब रवीन्द्र मंच आया था, तब सीनियर्स दादाजी के एक्टिंग के किस्से सुनाया करते थे। आज उन्हीं के साथ एक्टिंग करने का सौभाग्य मिला है। इस नाटक में वरिष्ठ और नए कलाकारों का एेसा सामंजस्य है, जो हमें बहुत कुछ सीखाता है। विशाल भट्ट ने कहा कि हमारा परिवार एक्टिंग को समर्पित है, मंच पर हमेंशा हम रिश्तों को अलग रखकर ही काम करते हैं। नाटक में संगीत अनिल सक्सेना दे रहे हैं और गायन में रिमझिम और झिलमिल होगी। राजेन्द्र शर्मा ‘राजू’ और दीपक गुप्ता की लाइटिंग होगी।

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