अनिल व उसके भाइयो ने शिव प्रताप की हत्या के लिए भाड़े के शूटरों को लाने की योजना बनाई। बिहार के शूटरों को दो लाख रूपये की सुपारी दी गई। सात सितम्बर को मूर्धवा में शूटर रुके और चेयरमैन का रेकी किया। वो कब किया करते हैं इसकी जानकारी इकट्टा की गई। पूरे महीने पर शिव प्रताप की गतिविधियों पर इन लोगों ने नजर रखी।
पुलिस ने बताया कि बिहार से जिन चार शूटरों को बुलाया गया था उन सभी को ज्वाला मुखी होटल में रोका गया था। इन सभी को बाइक दी गई थी ताकि वो पूरी स्थिति का जायजा कायदे से ले सकें। शूटर अनिल के भाई जमुना सिंह और बृजेश सिंह के रहे सम्पर्क में रहते थे वो हर रोज चेयरमैन के काम काज और आवाजाही की पूरी अपडेट उन्हे देते रहते थे।
पूरी रेकी के बाद इन्होने तय किया कि शिवप्रताप हर रोज शाम को अपने बरामदे में बैठकर लोगों से मिलता जुलता है। ऐसे में 30 सितम्बर कि रात 10 बजे शूटर इनके पास पहुंचे बाइक थोड़ी दूर पर लगाई और चेयरमैन के सीने में गोली उतार दिया। मारने के बाद पूर्व चेयरमैन अनिल सिंह और उनके भाईयों को इसकी जानकारी दे दी गई। जिसके बाद इन चारों को भागने के लिए मूर्धवा मोड़ पर लाया गया वहां से स्कार्पियो से इन सभी को यूपी की सीमा से बाहर कर दिया गया।
राकेश ने दिये थे रूपये पुलिस के खुलासे में यह बात भी सामने आई कि चेयरमैन के चुनाव में राकेश सिंह भी शिव प्रताप का प्रतिद्वंदी था। लेकिन चुनाव में उसे हार मिल जाने के बाद से ही वो चेयमैन की हत्या कराना चाहता था। पूरी योजना अनिल सिंह के बनाने के बाद रूपये का सारा इंतजाम राकेश ने किया जिसके बाद इस वारदात को अंजाम दिया गया।
पांच के खिलाफ दर्ज की गई थी एफआईआर इस मामले में परिजनों की तहरीर पर सोनभद्र के पिपरी थाने में अनिल सिंह उनके दो भाई ब्रजेश सिंह व राकेश सिंह के साथ ही जमुना सिंह और राकेश मौर्य के खिलाफ नामजद व एक अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। परिजनों की ओर से जो पिपरी थाने में दी गयी तहरीर में घटना का मुख्य जिम्मेदार अनिल सिंह, राकेश सिंह, ब्रजेश सिंह, जमुना सिंह व राकेश मौर्य को बताया था। उनका आरोप थी कि इन लोगों ने ही षड़्यंत्र करके दो शूटरों के जरिये यह हत्या करायी है। पुलिस ने इनसे पूछताछ किया तो सारा मामला खुलकर सामने आ गया।