स्कूली बसों की बात करें तो यहां 125 स्कूली बसें छात्रों को ढो रही हैं, साथ ही 26 वैन बच्चों को ढोने का काम कर रही हैं। ऐसे में यदि देखा जाए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रहे वाहनों में छात्र महफूज नहीं हैं। एक भी बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। इससे यह मान के चलें कि नौनिहाल सुरक्षित नहीं हैं। सतना जिले में हुई घटना की पुनरावृत्ति सिंगरौली में हो जाए तो यहां शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन हाथ खड़ा कर लेगा क्योंकि इनके मार्फत कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसा नहीं है कि यहां स्कूली बसों में घटनाएं घटित नहीं हुई हैं। बल्कि जिम्मेदारों को बड़ी घटना घटित होने का इंतजार है।
बार्डर की सुरक्षा पर सवाल
पॉवर हब के नाम से विख्यात सिंगरौली में बार्डर सुरक्षा की बात करें तो हालात बद से बदतर हैं। हम बात करते हैं तेलगवां बार्डर कि जहां बकायदे पुलिस सहायता केन्द्र स्थापित कर दो जवानों की नियमित ड्यूटी लगाई जाती है। देर रात की बात तो दूर, दिन की हकीकत देखें तो वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी बड़ी आसानी से बार्डर पार हो सकते हैं। फिर उन्हें पकडऩा पुलिस के लिए मुशिकल हो जाता है। यह स्थिति किसी एक बार्डर पर नहीं हैं। बल्कि जितनी सीमाएं जिले को अन्य राज्यों से जोड़ती हैं उन सीमाओं पर यह स्थिति आसानी से देखने को मिल जाएगी। जिले की सीमा यूपी सोनभद्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड तीन राज्यों को जोड़ती है। यहां बार्डर पर सुरक्षा की हकीकत देखकर कान खड़े हो जाएंगे। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ का बार्डर पर भी सुरक्षा शून्य है।