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सिंगरौली

अपने बच्चे को लेकर रहें सजग, स्कूल से घर तक नहीं हैं सुरक्षित

सीमा पर कैमरे बंद, चौकी खाली व पुलिस नदारद निगरानी तंत्र की घोर अनदेखी, लापरवाह बना स्कूल प्रबंधन

सिंगरौलीFeb 13, 2019 / 11:05 pm

Anil kumar

worried-over-the-kidnapping-of-two-children-in-satna

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सिंगरौली. सावधान! घर से बड़े प्यार और दुलार के साथ जिम्मेवार नागरिक बनने स्कूल गया आपका लाडला शाम को वापस आ जाएगा, यह निश्चित नहीं हैं। इसलिए हर अभिभावक को स्कूल गए अपने लाडलों की सुरक्षा को लेकर सजग रहने की जरूरत है। मंगलवार को सतना मेें पिस्तौल की नोक पर स्कूल से निकलते ही दो बच्चों का अपहरण होने की घटना यहीं संदेश देती है। भले ही आपका लाडला स्कूल की बस में जा रहा है मगर सतना में बस से ही बच्चों का अपहरण कर लिए जाने की घटना ने तो हर अभिभावक को अंदर तक डराकर रख दिया। ऐसी किसी भी घटना को लेकर इस जिले में भी हालात सतना जैसे ही हैं। स्कूल गए लाडलों की सुरक्षा व चौकसी पर केन्द्रित सिंगरौली जिले की हालत बताती एक रिपोर्ट।
सिंगरौली जिले में निजी लगभग पांच सौ विद्यालयों में अध्ययनरत बालकों की संख्या औसतन डेढ़ लाख से अधिक है। इनमें से स्कूल जाने व वापस आने के लिए 50 हजार छात्र स्कूली वाहनों पर निर्भर हैं। यह संख्या बहुत बड़ी है मगर इस संख्या के मुकाबले इन बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम इतने ही लचर हैं। इसके लिए न तो शिक्षा विभाग आगे आ रहा है और न ही जिला प्रशासन। ऐसे में सतना जिले जैसी घटना सिंगरौली में हो जाए तो यहां पुलिस और प्रशासन हाथ खड़े कर लेंगे क्योंकि अपराधियों को पकडऩा इतना आसान नहीं होगा। बार्डर पर लगे सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्कूली बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। या फिर ये कहें कि सुप्रीम कोर्ट का पालन जिला शिक्षा अधिकारी नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे हालात में अभिभावकों को चिंता सता रही है कि उनका लाडला स्कूली वाहनों में महफूज नहीं है।
स्कूली बसों में नहीं लगे हैं सीसीटीवी कैमरे
स्कूली बसों की बात करें तो यहां 125 स्कूली बसें छात्रों को ढो रही हैं, साथ ही 26 वैन बच्चों को ढोने का काम कर रही हैं। ऐसे में यदि देखा जाए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रहे वाहनों में छात्र महफूज नहीं हैं। एक भी बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। इससे यह मान के चलें कि नौनिहाल सुरक्षित नहीं हैं। सतना जिले में हुई घटना की पुनरावृत्ति सिंगरौली में हो जाए तो यहां शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन हाथ खड़ा कर लेगा क्योंकि इनके मार्फत कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसा नहीं है कि यहां स्कूली बसों में घटनाएं घटित नहीं हुई हैं। बल्कि जिम्मेदारों को बड़ी घटना घटित होने का इंतजार है।
बार्डर की सुरक्षा पर सवाल
पॉवर हब के नाम से विख्यात सिंगरौली में बार्डर सुरक्षा की बात करें तो हालात बद से बदतर हैं। हम बात करते हैं तेलगवां बार्डर कि जहां बकायदे पुलिस सहायता केन्द्र स्थापित कर दो जवानों की नियमित ड्यूटी लगाई जाती है। देर रात की बात तो दूर, दिन की हकीकत देखें तो वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी बड़ी आसानी से बार्डर पार हो सकते हैं। फिर उन्हें पकडऩा पुलिस के लिए मुशिकल हो जाता है। यह स्थिति किसी एक बार्डर पर नहीं हैं। बल्कि जितनी सीमाएं जिले को अन्य राज्यों से जोड़ती हैं उन सीमाओं पर यह स्थिति आसानी से देखने को मिल जाएगी। जिले की सीमा यूपी सोनभद्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड तीन राज्यों को जोड़ती है। यहां बार्डर पर सुरक्षा की हकीकत देखकर कान खड़े हो जाएंगे। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ का बार्डर पर भी सुरक्षा शून्य है।

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