-दल गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में बैठा रहा, मगर ग्रामीणों ने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी
-ग्रामीणों ने सरपंच व वार्ड पंचों के पद के लिए कोई नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया।
-दल स्कूल में बैठकर दिनभर इंतजार करता रहा और शाम को बैरंग लौट आया।
-गांव दयाल की नांगल से मतदान दल इस बार सातवीं बार बैरंग लौटा है।
-चुनाव को देखते हुए गांव में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिसकर्मी तैनात थे।
-ग्रामीणों की संघर्ष समिति का नेतृत्व महावीर चक्र विजेता रिटायर्ड फौजी दिगेन्द्र सिंह कर रहे हैं।
-सातवीं बार भी प्रशासन ने ग्रामीणों से वोट डालने के लिए समझाइश की, मगर वे नहीं माने।
चुनाव बहिष्कार पर दयाल की नांगल गांव के लोगों का कहना है देश में आजादी व लोकतन्त्र शासन प्रणाली लाने के लिए लाखों लोगों ने अपनी शहादत दी। कालापानी जैसी सजाएं पाई, उसी लोकतन्त्र प्रणाली का ग्राम दयाल की नांगल में का गला घोंट दिया गया।
पंचायतों के पुनर्गठन के दौरान दयाल की नांगल ग्राम पंचायत को नीमकाथाना पंचायत समिति से पाटन पंचायत समिति में शामिल कर लिया गया। गांव नीमकाथाना के नजदीक व पाटन से दूर है, मगर ग्रामीणों की मांग है कि नीमकाथाना में अधिकांश अधिकारी बैठते हैं। इसलिए उनकी ग्राम पंचायत वापस नीमकाथाना में ही शामिल की जानी चाहिए ताकि पंचायत समिति मुख्यालय के लिए लम्बा सफर तय नहीं करना पड़े।
मांग पूरी नहीं होने पर दयाल की नांगल के ग्रामीणों ने वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनावों से बहिष्कार कर रखा है। प्रशासन ने यहां पर समय-समय पर चुनाव करवाने के प्रयास किए हैं। अब सातवीं बार में भी ग्रामीणों ने ना पर्चे भरे ना ही वोट डाले। यहां सरपंच व वार्ड पंचों का चुनाव होना है।
दयाल की नांगल में ग्रामीणों ने सातवीं बार भी चुनाव का बहिष्कार कर दिया। यहां लोगों से चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न करवाने के लिए लगातार समझाइश भी कर रहे हैं।
-जगदीश गौड़, उपखंड अधिकारी, नीमकाथाना