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राजस्थान का एकमात्र किसान आंदोलन, जो ब्रिटिश संसद में भी गूंजा था, जानिए रोचक इतिहास

Rajasthan’s only Farmers Movement in British parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी।

सीकरAug 07, 2019 / 01:28 pm

Naveen

Rajasthan's only Farmers Movement in British parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी।

राजस्थान का एकमात्र किसान आंदोलन, जिसकी गूंज ब्रिटिश संसद में गूंजी थी

सीकर.

Rajasthan’s only Farmers movement in British Parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। अब फसलों के पूरे दाम, कर्जामाफी और प्याज की सरकारी खरीद को लेकर किसान आंदोलत करते है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी। दरअसल, रावराजा कल्याण सिंह ( Rao Raja Kalyan Singh ) के गद्दी सभालते ही लगान बढ़ोतरी हुई। इससे आक्रोशित किसान सडक़ों पर उतर आए। उस दौर में किसानों ने हुकूमत के सामने झुकने की बजाय आंदोलन को अलग-अलग तरह से आगे बढ़ाया। आखिरकार सात अगस्त 1925 को यहां के किसान इस आंदोलन को ब्रिटिश संसद में भी गूंजवाने में भी सफल रहे। इस आंदोलन की दूसरी बड़ी रोचक बात यह है कि उस दौर में भी सीकर में शिक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस था।


एक्सपर्ट व्यू: प्रदेश का एकमात्र किसान आंदोलन, जिसकी गूंज ब्रिटिश संसद में
इतिहासकार और राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रसीदपुरा के प्रधानाचार्य अरविन्द भास्कर बताते हैं कि 1922 में नए रावराजा कल्याणसिंह द्वारा की गई 25 प्रतिशत लगान बढ़ोतरी के प्ररिणिति कूदन कांड के साथ हुई। 1925 से 1935 के दौरान ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कामंस में 7 बार में इस आंदोलन के बारे में कुल 14 प्रश्न पूछे गए। यह राजस्थान का एकमात्र किसान आन्दोलन था जिसकी गूंज ब्रिटिश संसद में बार-बार सुनाई दी थी। इंग्लैण्ड, ऑस्टेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर सहित अन्य देशों के प्रमुख समाचार पत्रों में भी किसान आंदोलन सुखिर्यो में रहा।

 

Rajasthan's only Farmers Movement in British parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी।

तब पूरे सीकर की आय थी 5.50 लाख, अब सैकड़ों गुणा बढ़ी
मि. पैथिक लारेंस ( Mr. Pathic Lawrence ) ने भारत के अंडर सेक्रेटरी से पूछा कि सीकर ठिकाने की वार्षिक राजस्व आय कितनी है ? भूमि से कितना राजस्व प्राप्त किया जाता है और सार्वजनिक शिक्षा व स्वास्थ्य पर कितना वार्षिक खर्च किया जाता है ? भारत के अंडर सेक्रेटरी अर्ल विंटरटन ने इस पर जबाव देते हुए कहा कि सीकर ठिकाने की वार्षिक आय 5.50 लाख रुपए है। इसमें से चार लाख रुपए भू-राजस्व से आते हैं। औसत वार्षिक व्यय सार्वजनिक शिक्षा पर 15,000 तथा स्वास्थ्य पर 20,000 किया जाता है।

Rajasthan's only Farmers Movement in British parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी।

ऐतिहासिक महत्व के लिए किया संघर्ष
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर ( International level ) पर चर्चा का विषय रहने के बावजूद सीकर किसान आंदोलन ( sikar kisan andolan ) को अब तक ऐतिहासिक महत्व नहीं मिल पाया। पिछले पाठ्यक्रम में बदलाव के समय स्थानीय लेखकों के होने की वजह से पहली बार सीकर किसान आंदोलन को 10 वीं और 12 वीं की पुस्तकों में व्यापक तव’जो मिली थी। इस बार शिक्षा रा’य मंत्री भी सीकर से है। ऐसे में स्थानीय लोगों की मांग है कि सीकर के पूरे किसान आंदोलन को इतिहास में शामिल किया जाए।

Rajasthan's only Farmers Movement in British parliament : शिक्षा और शहादत के दम पर देशभर में पहचान बनाने वाले सीकर का किसान आंदोलनों ( Sikar Kisan Andolan) से पुराना नाता है। वहीं 1922 से 1935 के बीच हुए किसान आंदोलन की गवाह ब्रिटिश संसद ( UK Parliament ) भी बनी थी।

मि. पैथिक लारेंस ने पूरक प्रश्न करते हुए पूछा कि क्या यह अनुपात कम नहीं है?
अर्ल विंटरटन: इस प्रश्न का उत्तर देकर मुझे प्रसन्नता होती लेकिन ऐसा करना मेरे लिए असंवैधनिक है। सीकर ठिकाना भारतीय रा’यों का क्षेत्र होने के कारण यहां के प्रशासन के लिए भारत सरकार का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। मि. पैथिक लारेंस: क्या आप जानते हैं कि सीकर ठिकाने के किसानों पर 25 प्रतिशत लगान बढ़ा दिया गया है? जो किसान इतना लगान अदा करने में सक्षम या इ‘छुक नहीं थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें सजा दी गई। क्या आप बता सकते हैं कि उन्हें किस प्रकार की सजा दी गई ?


अर्ल विन्टरटन: लगान की बढ़ोतरी ऋतु की प्रकृति पर निर्भर करती है। चूंकि कूंत करने के तरीके में बदलाव नहीं हुआ है तथा लगान देने में असक्षम या अनि‘छुक होने पर गिरफ्तार नहीं किया जाता। हाल ही में की गई जांच में पाया गया है कि कृषक मौजूदा कूंत के पक्षधर थे और इसे जारी रखना चाहते हैं।


मि. पैथिक लारेंस: सीकर ठिकाने के 18 किसान जो अपनी समस्याओं को प्रस्तुत करने के लिए जयपुर के अधिकारियों से मिलने के लिए 5 मार्च को एकत्रित हुए थे, उन्हें बिना चेतावनी दिए गिरफ्तार कर लिया गया? और यदि ऐसा हुआ था तो न्यायालय में उन पर क्या दोषारोपण किया गया? क्या वह जानते हैं कि उनके दो नेताओं को पीटा गया? क्या आपने इस पूरे घटनाक्रम की जांच कराई और इस पूरे मामले पर कोई तथ्यात्मक बयान जारी किया ?


अर्ल विन्टरटन: इन प्रश्नों का आधार केवल यही है कि अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के लिए बाहरी आंदोलनकारियों द्वारा अनेक किसानों को उकसाया गया था जिन्हें चेतावनी स्वरूप सीकर भेजा गया था। उन्हें अ‘छा व्यवहार करने की शर्त पर वापिस उनके घर भेज दिया गया है। किसी को भी नहीं पीटा गया। सदस्य को यह मालूम हो कि सीकर ठिकाना ब्रिटिश क्षेत्राधिकार में नहीं है।

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