जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहले किसी मरीज की सीडी फोर 500 से कम होने पर ही इलाज शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। प्रदेशभर में बढ़ती रोगियों की संख्या को देखते हुए टेस्ट एंड ट्रीट पॉलिसी के तहत पॉजीटिव आने पर उसी दिन से दवाई शुरू करने के निर्देश जारी किए गए।
पांच साल में अब तक 208 की मौत
बीडीके अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इस जानलेवा बीमारी के जिले में वर्तमान में कुल रजिस्टर्ड मरीजों की संख्या करीब 1089 है, जिसमें 69 बच्चें हैं। दूसरी तरफ बीमारी से पिछले पांच साल में अब तक 208 जनों की मौत हो चुकी है, जिसमें बच्चों की संख्या नौ है।
2007 में पहला मरीज आया सामने
जिले में वर्ष 2007 में जिला अस्पताल में लिंक एआरटी सेन्टर प्रारम्भ किया गया था, इसी वर्ष सेन्टर पर पहला एड्स पीडि़त रोगी चिन्हित किया गया था। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मार्च 2013 में एआरटी सेन्टर शुरू किया गया।
नहीं उठा रहे फायदा
राज्य सरकार की ओर से बीमारी से पीडि़त मरीजों के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रखी है। जिसमें समाज कल्याण की पालनहार, रोडवेज की ओर से किराए में छूट, रसद विभाग की ओर से अंत्योदय योजना, ब्लड बैंक में निशुल्क ब्लड की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन जानकारी के अभाव में केवल कुछेक पीडि़त ही इसका फायदा उठा पा रहे है।
तुरंत जांच जरूरी
सिर में हमेशा दर्द रहना, धीरे-धीरे वजन का कम होना, स्कीन पर रेशैज होना, मतली आना, जुकाम, सूखा कफ, बार-बार बुखार आना, थकान होना, मांशपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द व सूजन, गला पकना, बिना वजह के तनाव होना।