आर्यिका विभाश्री माताजी ने प्रवचनों में बताया साधु का ये अर्थ
साधु भी श्रावक की तरह जीविकोपार्जन के लिए धन संचय करने लगे, तो यह अव्यवस्था का कारण होता है।
आर्यिका विभाश्री माताजी ने प्रवचनों में बताया साधु का ये अर्थ
सीकर. आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा है कि साधु को धन की कोई आवश्यकता नही होनी चाहिए। साधु भी श्रावक की तरह जीविकोपार्जन के लिए धन संचय करने लगे, तो यह अव्यवस्था का कारण होता है। श्रावक को भी श्रम से धन का उपार्जन कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करना चाहिए। शास्त्रों में भी पुरुष में 72 और स्त्रियों में 64 कलाएं कही गयी है। इनमें से दो मुख्य कलाओं में पहली आत्मा का कल्याण करना और दूसरा धन का सृजन। धन से धर्म कभी नहीं हो सकता। धन से सिर्फ साधनों को जुटाया जा सकता है पर धर्म से ही शांति की प्राप्ति होती है। आत्म ज्ञान धन से नही पाया जा सकता। जीवन मे श्रम से प्राप्त धन ही सफलता तक ले जाता है। गलत साधनों से बिना श्रम से पाया धन कभी मनुष्य के पास नही टिकता। आयोजन समिति के अजीत जयपुरिया ने बताया कि आज की मांगलिक क्रियाए पवन, नवीन, मनीष, रितेश कुमार कासलीवाल कोलिड़ा वाले परिवार
ने की।
स्वच्छ भारत अभियान पर जागरूकता कार्यक्रम
सीकर. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोक संर्पक ब्यूरो की ओर से जागरूकता अभियान के तहत शनिवार को जिले की पिपराली पंचायत समिति की ग्राम पंचायत हर्ष के राजीव सेवा केंद्र में कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में सहायक निदेशक लोक सेवाए राकेश कुमार लाटा ने कहा कि स्वच्छ भारत की कल्पना, हम तभी कर सकते हैं, जब देश का प्रत्येक व्यक्ति स्वच्छता के प्रति जागरूक होकर स्वच्छता को अपनाएं। कार्यक्रम में ग्राम हर्ष के सामाजिक कार्यकर्ता घीसालाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से ग्रामीण जनों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आएगी। संगोष्ठी में नेहरू युवा केंद्र सीकर के जिला समन्वयक तरुण जोशी ने स्वच्छता का संकल्प दिलाया। फील्ड आउटरीच ब्यूरो के सहायक निदेशक मुकेश शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।
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