करवाही में प्राथमिक पाठशाला है, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों का भविष्य दांव पर है। ग्रामीणों का आरोप है कि जो शिक्षक हैं वे देरी से आते हैं या फिर गप्पे लड़ाने में मशगूल रहते हैं। 10-12वीं की पढ़ाई के लिए बच्चों को पांच से 10 किमी. दूर का सफर करना पड़ता है। ऐसे में छात्राओं की पढ़ाई छूट जाती है, क्योंकि कोई भी अभिभावक अपनी बेटियों को दूर पढऩे नहीं भेजना चाहता है।
करवाही में बिजली और पानी सबसे बड़ी समस्या है। सांसद ने आश्वासन दिया था कि लोगों की प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए पानी के इंतजाम किए जाएंगे, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। ग्रामीण तीन किलोमीटर दूर स्थित कुएं के भरोसे हैं। गांव में बिजली के खंभे तक नहीं। यहां आज भी चिमनी और लालटेन युग चल रहा है।
ग्रामीण बताते हैं कि 2015 से 2018 के बीच हुए निर्माण कार्य की मजदूरी अभी तक नहीं मिली। आधे से ज्यादा लोगों को जॉब कार्ड का नहीं दिए। 2016 में ओडीएफ घोषित हो चुके गांव में शौचालय नहीं बने हैं।
सुआदीन यादव ने बताया कि समग्र आइडी आज तक नहीं बनाई गई। इससे गरीबों को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा। प्रधानमंत्री आवास योजना की दूसरी सूची नहीं जारी की गई। पहली सूची में भी गांव के पात्र हितग्राहियों को दूर रखा गया। प्रसूति सहायता राशि का भुगतान भी नहीं किया जाता है।
में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां इलाज नहीं मिलता। ग्रामीणों को इलाज कराने के लिए ३० किमी. दूर सीधी जाना पड़ता है।
पौधरोपण की जाली व पौधे गायब
30 पीएम आवास
(22पूरे 8 अधूरे)
170 शौचालय शौचालय नहीं बने हमारे घरों में शौचालय नहीं बने। सरपंच सचिव से इसके लिए बोला पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। गांव में पौधरोपण किया गया, पर पौधे कहां गए, इसका पता नहीं।
– राजीव लोचन
परिवार की समग्र आइडी नहीं बनाई जा रही है। इस कारण गांव के कई परिवारों को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न व केरोसिन नहीं मिल पा रहा है। जिस गांव के लोग भूखे हों, वो आदर्श कैसे हो सकता है।
– नसीर खान