वह है, यहां से उछाला गया एक पत्थर। सितम्बर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे तो लोगों ने इसी सड़क का पत्थर उठाकर रथ पर उछाल दिया। कांच फूटते ही बवाल मचा, जो अब तक थमता नहीं दिख रहा।
इसे लेकर मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला जो चंद लोगों की गिरफ्तारी के बाद शांत तो हो गया, पर सड़क अब भी जस की तस है। इसके गड्ढे भरने की शुरुआत जरूर हुई है। इसकी कोशिश सीएम की यात्रा से पहले भी हुई थी, लेकिन कांग्रेसी अड़ गए कि रथ इसी हालत में निकलेगा। अब यही यहां का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है।
चुरहट कस्बे में प्रवेश दोपहर के करीब 12 बज रहे हैं। रीवा से सीधी जाते समय जैसे ही चुरहट कस्बे में प्रवेश किया, सड़क से उठ रही धूल ने स्वागत किया। इस कारण गाड़ी से उतरते ही पहले रूमाल से चेहरा बांधा ताकि सांस लेने में तकलीफ न हो। फिर लोगों का मानस टटोला। इसी सड़क के किनारे पान की दुकान चलाने वाले संतोष मिश्रा से जैसे ही पूछा कि भैया, यह सड़क कब से ऐसी है। मानो वह भरा बैठा हो। बोले-पांच साल से यही हालात हैं। आंदोलन तक हुए ,लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब तो सरकार ही बदलेंगे। फेरी लगाकर गुजारा करने वाले अजय और उसके पास खड़े युवा गौरव सिंह, दीपक और राजेश बघेल कहते हैं- भैया, सड़क की कुछ मत पूछो। हम थूकते भी हैं तो उसके साथ धूल निकलती है।
यह सड़क नहीं बीरबल की खिचड़ी यह सड़क नहीं बीरबल की खिचड़ी हो गई, बनती ही नहीं। इसे लेकर खूब आंदोलन चला। बारिश में युवक कांग्रेस ने इस पर धान के पौधे रोपे। अनशन भी किया। पर आश्वासन का झुनझुना थमाया गया, बस। व्यवसायी धीरज, देवेंद्र कहते हैं कि यह सड़क नहीं राजनीति का अखाड़ा है। इस पर शह-मात का खेल चल रहा है, जब फैसला होगा तभी इसकी तकदीर बदलेगी। चुरहट नगर बाजार के नेहरू तिराहा समेत रीवा रोड पर आए दिन जाम लगा रहता है। अतिक्रमण के कारण सड़कें संकरी होती जा रही हैं। चुरहट में अच्छे कॉलेज, स्वास्थ्य एवं बिजली की समस्याएं आज भी बरकार हैं। वैसे सर्रा से मोहनिया सड़क पर मरम्मत हुई है।
चुरहट नहीं पूरे जिले की उपेक्षा
देवीलाल यादव और रघुवंश गुप्ता कहते हैं कि सिंगरौली जिला बनने के बाद तो सीधी जिला खत्म हो गया। धंधा नहीं बचा। रोजगार है नहीं। जो भी प्लांट और फैक्ट्री लगी, सब सिंगरौली में। पूरे जिले की उपेक्षा हो रही है। फिर भी सरकार से नाराजगी नहीं। एट्रोसिटी एक्ट पर बोले-भैया जब सौ साल हम उन्हें गरियारे तो वे सहत रहे, अब वे 8-10 साल हमऊ गरियारे तो हम सह लेही। युवा अमन त्रिपाठी कहते हैं, सरकार अच्छी है पर सीधी को उपेक्षा की दृष्टि से देखती है। सीएम ने पिछले चुनाव में बाहेर में सीमेंट फैक्ट्री डालने का कहा था। डलती तो कुछ लोगों को तो रोजगार मिलता।
जातिगत समीकरण
विधानसभा क्षेत्र में सवा दो लाख से अधिक मतदाता हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। पिछड़ा वर्ग के सबसे अधिक मतदाता हैं, जिनमें पटेल जाति के वोटर शामिल हैं। यही वर्ग पार्टी की हार-जीत तय करता है।
दोनों प्रतिद्वंद्वी जनता के बीच रहे
यहां से कांग्रेस विधायक अजय सिंह हैं। वे लगातार लोगों के संपर्क में रहते हैं। उनकी समस्याओं का निराकरण कराते हैं। भाजपा के शरदेंदु तिवारी हैं, इस बार भी मैदान में हैं। वे भी जनता के बीच रहे।
प्रमुख समस्याएं
– सड़कों की स्थिति खराब
– अतिक्रमण से जाम की स्थिति।
– अस्पताल में डॉक्टर और अत्याधुनिक उपकरणों की कमी।
– रोजगार नहीं। पढ़ाई के लिए अच्छा कॉलेज नहीं। 2013 में हार जीत का अंतर
– अजय सिंह, कांग्रेस 71796
– शरदेंदु तिवारी, भाजपा 52440
– जीत का अंतर 19356