शाजापुर. बारिश की खेंच से परेशान किसानों की चिंता अब फसलों को लेकर कीटों
के प्रकोप से बढ़ गई है। तेज बारिश नहीं होने से दिनोंदिन फसलों पर कीटों
का कहर बढ़ते जा रहे हैं। शहर के व्हाइट ग्रब कीट के प्रकोप से अब सोयाबीन
की फसलों की सेहत बिगड़ती जा रही है।
पीयूष भावसार. शाजापुर. बारिश की खेंच से परेशान किसानों की चिंता अब फसलों को लेकर कीटों के प्रकोप से बढ़ गई है। तेज बारिश नहीं होने से दिनोंदिन फसलों पर कीटों का कहर बढ़ते जा रहे हैं। शहर के व्हाइट ग्रब कीट के प्रकोप से अब सोयाबीन की फसलों की सेहत बिगड़ती जा रही है। यदि समय रहते किसानों ने इसके लिए उपाय नहीं किए तो फसल बर्बाद हो सकती हैं।
प्रतिवर्ष बारिश के मौसम में तेज और अच्छी बारिश के कारण सोयाबीन की फसल लहलहाती है, लेकिन इस बार तेज बारिश ही नहीं हुई। नाममात्र की बारिश से फसलों को अब नुकसान होने लगा है। विभिन्न तरह के कीट फसलों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं। किसानों का कहना है कि एक तो बारिश नहीं होने से प्रकृति की मार उन पर पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर अब फसलों में भी कीट प्रकोप होने से उत्पादन को लेकर संशय की स्थिति बन गई है। यदि जल्द ही मूसलाधार बारिश या कीट व्याधी नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए तो परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
कृषि वैज्ञानिकों से ले रहे सलाह ग्राम घुंसी के किसान सियाराम, महेंद्र, रामबाबू,
धर्मेंद्र, दीपक, श्याम, कैलाश, संजय, जेपी, मनोहर, ओमप्रकाश गोठी, कैलाश कुंभकार सहित अन्य किसानों ने बताया कि सफेद कीड़े से उनकी फसल बर्बाद होने लगी है। ग्राम के सरपंच मुरलीधर गोठी सहित ग्रामवासी और किसानों ने इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक, पटवारी आदि को भी अवगत कराया है।
बारिश नहीं हुई तो कम होगा उत्पादन कृषि वैज्ञानिक डॉ. अंबावतिया ने बताया कि फसलों में जो भी कीट व्याधी होती हैउसके लिए किसान कृषि विज्ञाग के अधिकारियों या फिर कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी लेकर खेत में दवा का छिड़काव करें। कोई भी कीट व्याधी ऐसी नहीं है जिसका उपचार नहीं किया जा सकता। हालांकि बारिश को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि वर्तमान में पौधों पर फूल आने लगे हैं। यदि बारिश नहीं हुई तो उत्पादन काफी कम हो सकता है।
इन कीटों का बढ़ रहा प्रकोप 1. तना मक्खी : ये कीट मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल को निशाना बना रहा है। इसके प्रकोप के कारण सोयाबीन के पौधे की उपर की ओर की पत्तियां सूखने लगी है।
बचाव का तरीका : कृषि विज्ञान केंद्र गिरवर शाजापुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीआर अंबावतिया ने बताया कि इस कीट से बचने के लिए किसान ट्रायजोफास दवा का उपयोग करें। प्रति हेक्टेयर में 800 एमएल दवा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। वहीं एक हेक्टेयर में एक लीटर प्रोफेनोफास दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
2. पत्ता रोग : सोयाबीन के पौधों में दूसरी तरह की बीमारी पत्ते पीले पडऩे की समस्या आ रही है। पत्तों पर धब्बे बनते जा रहे है। इससे सोयाबीन का उत्पादन बहुत कम हो सकता है।
बचाव का तरीका : वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अंबावतिया ने बताया कि इस तरह के रोग से बचने के लिए बावेस्टी नामक दवा 2-3 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। एक हेक्टेयर में 2-3 पंप छिड़काव हो सकता है।
3. गार्डिल बिटल (कट इल्ली) : सोयाबीन की फसल को बर्बाद करने में गार्डिल बिटल कट इल्ली भी शामिल है। जिले के कुछ क्षेत्रों में इस इल्ली का भी फसल पर प्रकोप देखने को मिल रहा है। ये इल्ली फसल को प्रभावित कर रही है।
बचाव का तरीका : डॉ. अंबावतिया ने बताया कि इस कीट से बचने के लिए किसान ट्रायजोफास दवा का उपयोग करें। प्रति हेक्टेयर में 8 00 एमएल दवा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। वहीं एक हेक्टेयर में एक लीटर प्रोफेनोफास दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
4. व्हाइट ग्रब : इस कीट को सफेद कीड़ा या गोबर का कीड़ा भी कहा जाता है। ये कीड़ा मुख्य रूप से मुंगफली की फसल को प्रभावित करता है। मुंगफली की फसल में लगने वाला यह कीड़ा फली के अंदर दाने को खत्म करता है। इसके बाद सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाता है। ये कीटसोयाबीन की फसल की जड़ को काटता है। इससे फसल को नुकसान हो रहा है।
बचाव का तरीका : डॉ. अंबावतिया ने बताया कि जिले के घुंसी और इसके आसपास के क्षेत्र में इस कीट से नुकसान होने की जानकारियां सामने आ रही है। इससे बचने के लिए किसान या तो फसल की बोवनी के पहले फोरेट 10जी दवा का छिड़काव करें। यदि बोवनी हो गई है तो इस दवा को पानी डालकर जमीन के अंदर पौधों की जड़ तक पहुंचाएं। यदि बारिश हो तो इस दवा को छिड़काव करें, ताकि दवा सीधे जड़ तक पहुंचे।