उपज की पैदावार कम होने के पीछे एक प्रमुख कारण मिट्टी भी है। मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व पूरे नहीं होंगे तो इस प्रकार की स्थिति बनेगी। पिछले कुछ साल से यही स्थिति किसानों के सामने बन रही थी। जानकारी के अभाव में वह मिट्टी परीक्षण नहीं करा रहे थे। समय के साथ जब उनको इसका पता चला तो कृषि विभाग का रूख किया। विभागीय अफसरों ने भी उनको पहले मिट्टी परीक्षण कराने की सलाह दी। किसानों ने जब खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया तो उनको वास्तविकता का पता चला। उसके बाद से ही वह इस काम में आगे आने लगे हैं।
ग्रिड बनाकर लेते हैं नमूने
कृषि विभाग के अधिकारी भी अपने स्तर से खेतों से मिट्टी के नमूने लेते हैं। इसमें 10 हेक्टेयर सिंचित और एक हेक्टेयर असिंचित जमीन का ग्रिड बनाया जाता है। ग्रिड में सिंचित जमीन में 10 हेक्टेयर चाहे एक किसान की जमीन हो या फिर ज्यादा की उसके आधार पर ही नमूने लेकर उसकी जांच की जाती है। जांच के बाद मिट्टी में पाई जाने वाली कमियों को पूरा करने किसानों को कहा जाता है। असिंचित जमीन के लिए भी इसी तरह से ग्रिड बनाया जाता है। मि_ी परीक्षण के बाद किसानों को विभाग मृदा स्वास्थ्य कार्ड देता है। जिसमें सभी जानकारी होने से उसके आधार पर किसान उपाय करते हैं।
फैक्ट फाइल
मिट्टी नमूने का लक्ष्य : 21558
सिंचित : 7468
असिंचित : 14090
कितने नमूने की हुई जांच :19500
शेष : 2058
वर्जन….
– पिछले कुछ सालों में मिट्टी जांच कराने को लेकर किसान जागरूक हुए हंै। जिससे लैब में नमूने का आंकड़ा बढ़ा है। हमारी तरफ से भी किसानों को मिट्टी परीक्षण कराने की सलाह दी जा रही है।
अवनीश चतुर्वेदी, डीडीए कृषि विभाग सीहोर