नई दिल्ली। माता अपने बच्चों को उन स्कूलों में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं, जिनमें कड़ा अनुशासन ( Disciplined ) होता है। वो ये नहीं जानते हैं कि यही कड़ा अनुशासन किशोरावस्था ( adolescence ) में कदम रखने वाले उनके बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इससे वो गलत रास्ता ( wrong way ) चुनने पर मजबूर हो सकते हैं। उनका भविष्य ( Publishers ) भी खराब हो सकता है। ऐसा अमरीका में किए गए एक शोध ( search ) में सामने आया है।
अमरीका के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन ( study ) किया है। अध्ययन में उन्होंने चिंता जताते हुए कहा है कि जिन स्कूलों में बच्चों पर सख्त अनुशासन अपानाएं जाते हैं, उन स्कूलों के बच्चे अनुशासन मानने के बजाए गलत राह अपनाते हैं। यह बेहद हानिकारक ( Harmful) साबित हो सकता है। इससे बच्चे गलत काम करना शुरू कर देते हैं। सकारात्मक चीजों को छोड़कर नेगेटिक चीजों के बारे में सोचने और करने लगते हैं। उस वक्त उन्हें वहीं सही लगता है। इसका असर ये होता है कि वो पहले घर में माता-पिता से छुप-छुपाकर गलत काम करते हैं। फिर आस-पड़ोस में हमले, चोरी और ड्रग्स बेचने जैसे अपराध करने लगते हैं।
शोध में सामने आया कि जिन स्कूलों में अधिक अनुशासन रखा जाता है, वहां के स्टूडेंट्स अधिक हिंसात्मक और आपराधिक प्रवृत्ति के हो जाते हैं। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे वे हिसंक और आक्रोशित होने लगते हैं।
बचने के उपाय माता-पिता अगर चाहते हैं कि बच्चे संस्कारी और शांत स्वभाव के बनें, तो वे अपने बच्चों को कभी भी ऐसे स्कूल में न भेजें, जहां पर सख्त अनुशासन हो। शोध में ये सुझाव दिया गया है कि स्कूलों को भी स्टूडेट्स की काउंसिलिंग कराते रहना चाहिए। इससे उनके मन की बात जानी जा सकती है और उन्हें समय रहते सही दिशा दिखाई जा सकती है।