बताते चलेंं कि, प्राथमिक शाला की प्रधानाध्यापिका प्रभा गुप्ता जहां एक दशक से विद्यालय में पदस्थ हैं। वहीं माध्यमिक शाला में प्रधानाध्यापक सतीश मिश्रा सत्रह वर्षों से लगातार पदस्थ हैं। इन दोनों शिक्षकों की मनमानी व लापरवाही से ग्रामीण तंग आकर उच्चाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों से लगातार शिकायतें भी करते रहे लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। लिहाजा गांव के बच्चों को गांव से दूर पढ़ाई करना मजबूरी बन गई। जो हर अविभावक के लिए नामुंकिन नहीं था। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने विगत 4 सितंबर से अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। फिर 5 सितंबर को जिला कलेक्टर दिलीप कुमार सहित जिम्मेदार अधिकारियों को भी लिखित शिकायत देकर उल्लेख किया।
विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों के आने जाने का कोई समय नहीं है। विद्यालय में बच्चों को बैठने के लिए टाट-फट्टी सहित दैनिक उपयोग की बस्तुएं क्रय नहीं की जाती हैं। जबकि सारा बजट फर्जी हस्ताक्षर कर हजम कर लिया जाता है। ग्रामीणों ने शिकायत में बताया था कि मध्याह्न भोजन भी शिक्षकों द्वारा घटियास्तर का दिया जाता है। साथ ही बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी बहुत निम्न है। ग्रामीणों ने जांच की मांग की थी। फिर भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो 11 सितंबर को सभी ग्रामीण एकत्रित होकर सरपंच प्रेमबती बैगा से विद्यालय में ताला जड़वा दिया।
ग्रामीणों का कहना था कि जब हमारे बच्चों को बकरी व भैस ही चराना है तो स्कूल किस काम की है। आखिरकार स्कूल में ताला बंद होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर दिलीप कुमार ने कुसमी सीईओ को विद्यालयीन गतिविधियों की जांचकर प्रस्ताव प्रस्तुत करने आदेशित किया गया। जिसके परिपालन में सीईओ कुसमी एसएन दुबे व जन शिक्षक हरीलाल अहिरवार बुधवार को मेढ़की विद्यालय पहुंचकर ग्रामीणों का कथन लेते हुए बच्चों के शैक्षणिक स्तर का परीक्षण भी किया। जांंच में शिकायत सही पाए जाने पर तीनों शिक्षक सतीश मिश्रा, प्रभा गुप्ता, राजेश तिवारी के निलंबन का प्रस्ताव तैयार किया और ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि यदि इन शिक्षकों ने शासकिय राशि का गबन या दुरुपयोग किया है तो जांच उपरांत दोषियों के खिलाफ एफ आईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
सीईओ के प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद कलेक्टर दिलीप कुमार ने तीनों शिक्षकों को निलंबित कर दूसरे शिक्षकों की व्यवस्था का आदेश दिया। तदोपरांत सोमवार को स्कूल का ताला खोला गया। हालांकि अभी तक दूसरे शिक्षकों की व्यवस्था सहित मध्याह्न भोजन की व्यवस्था नहीं की गई है। स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों को टाट नहीं होने के कारण जमीन पर ही बैठना पडा। वहीं आलमारियों में ताला बंद होने के कारण उपस्थिति पंजी आदि नहीं उपलब्ध हो सकी है। अब देखना है प्रशासन कब तक प्रभार दिलाने में सक्रिय होता है।