इस बार मैहर जनपद की 115 ग्राम पंचायतों की 225 बसाहटों में जलसंकट की स्थिति को देखते हुए सबमर्सिबल पंप लगाने की अनुमति मिली है। नियमानुसार जनपद स्तर से ग्राम पंचायतों को कोटेशन मंगवाकर यह खरीद करने के आदेश देने थे, लेकिन जनपद स्तर से ऐसा न कर खुद ही बड़े पैमाने पर मोटर पंप मंगवा लिए गए। ये मोटर पंप सरपंचों के हाल के रूप में पहचाने जाने वाले जनपद पंचायत के पुराने भवन में रखवाए गए। इसके बाद ग्राम पंचायतों के सचिवों को इन मोटरों को पंचायतों में ले जाकर लगाने और बिल को स्वीकृत करने कहा जाने लगा।
यह बिल सतना कृष्णनगर स्थित भारत मोटर्स के दिए जा रहे हैं। कई सरपंचों ने इसे स्वीकार कर लिया और मोटर ले ली। लेकिन बड़ी संख्या में सरपंचों ने इससे इनकार भी कर दिया। उन्होंने जनपद स्तर से दी जा रही मोटर की गुणवत्ता को निम्न और दाम अधिक बताए। भारत मोटर्स के बिल के हिसाब से मोटर पंप 40 हजार रुपए का है। 225 बसाहटों का 90 लाख रुपए बनता है। सरपंचों का कहना है कि यह दाम बहुत ज्यादा है। इसके अलावा जब भुगतान ग्राम पंचायत से ही होना है तो मोटर भी ग्राम पंचायत की पसंद की होनी चाहिए।
नाम न छापने की शर्त पर दो ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने बताया कि पहले ये मोटर पंप पुराने जनपद कार्यालय में रखे हुए थे। लेकिन बाद में जब इस इसमें भ्रष्टाचार की चर्चा बढ़ने लगी तो यहां से उठाकर मोटर ग्राम पंचायतों में रखवा दी गई और उन्हें सप्लाई सेंटर बना दिया गया। सोनवारी, बदेरा आदि ग्राम पंचायतों को इस तरह का सप्लाई सेंटर बनाया गया है। वहां 10-10 मोटर रख दी गई हैं। यहां से अन्य ग्राम पंचायतों को सप्लाई की जा रही है।
” जनपद से मोटर भेजी गई है। 10 मोटर आई थी। एक मोटर हमने लगा ली है। चार मोटर जोवा पंचायत को भेज दी गई है। बाकी अन्य पंचायतें मोटर नहीं ले रही हैं ” – सरपंच बदेरा
” हमारे पास प्रस्ताव आया था। लेकिन हमने मोटर लेने से इंकार कर दिया है ” – सरपंच वंशीपुर
” हमारे द्वारा कोई मोटर नहीं खरीदी गई है और न ही ग्राम पंचायतों को हमारी ओर से कहा गया है.” – प्रतिपाल सिंह, जनपद सीईओ
”अगर ऐसा है तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच करवाते हैं।” – रानी बाटड, कलेक्टर, मैहर