दशलक्षण पर्व का समापन आज, मंदिरों में होगा श्रीजी का अभिषेक
सागर•Sep 23, 2018 / 01:49 pm•
manish Dubesy
dashalakshan parv jain dharm
सागर. दशलक्षण पर्व के समापन पर अनंत चतुर्दशी रविवार को रामपुरा स्थित वासुपूज्य जिनालय से देवशास्त्र गुरु की शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर ही मूलनायक वासुपूज्य भगवान के मोक्षकल्याण पर 1008 कलशों से महामस्तिकाभिषेक भी संपन्न होगा। दोपहर बाद रामपुरा से शोभायात्रा विजय टॉकीज, लिंक रोड़, बाहुबली कॉलोनी, गुजराती बाजार से वर्णी कॉलोनी होते हुये कटरा नमकमंडी के रास्ते रामपुरा पहुंचेगी। वहीं कटरा जैन मंदिर में आचार्य विनिश्चय सागर महाराज के सानिध्य में दोपहर में श्रीजी का अभिषेक होगा। इससे पहले शनिवार को नेहानगर जैन मंदिर में आर्यिका विज्ञानमति माता के ससंघ सानिध्य में चल रहे श्रावक संस्कार शिविर के समापन की पूर्व संध्या पर दस दिन से उपवास कर रहे शिविरार्थियों ने गाजेबाजे के साथ शोभायात्रा निकाली, जो जैन मंदिर नेहानगर से प्रारंभ होकर सद्भावना नगर मुख्य मार्ग से होती हुए पुन: नेहानगर जैन मंदिर पहुंची। शिविरार्थियों ने नाचते हुए जैन धर्म के जयकारे लगाए। लोगों ने जगह जगह शिविरार्थियों का स्वागत किया गया ।
‘बुरी संगति से अकेलापन अच्छाÓ
अंकुर कॉलोनी में विराजमान मुनि सुब्रत सागर महाराज ने उत्तम आकिंचन धर्म पर धर्मसभा में कहा कि बुरी संगति से अकेलापन अच्छा है। हमारे अपनेपन का भाव ही हमें एकाकीपन से दूर ले जाता है। जैन धर्म में सब कुछ त्याग करते हुए अपने आप में लीन होकर साधना कराई जाती है। आप अपने आप को दिगंबर जैन क्यों लिखते हैं क्योंकि हम दिगंबर संतो के अनुयाई है हमारे देव, शास्त्र, गुरु तीनों दिगंबर है ।हम आए भी दिगंबर ,जाना भी दिगंबर ,लेकिन याद रखना बीच के आडंबर में फंसना नहीं। जन्म से दिगंबर पैदा होते हैं, भाग्य से दिगंबर है, मरण भी दिगंबर होता है। दशलक्षण पर्व पर विभिन्न प्रकार की स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है। इसमें बच्चों की कला का प्रदर्शन के साथ वाद-विवाद प्रतियोगिता रंगोली सजाओ के साथ सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले कार्यक्रम आयोजित किया जाते हैं।