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रीवा

शहर विकास के लिए जनता का क्या है घोषणा पत्र, जानिए लोगों ने क्या गिनाई हैं प्राथमिकताएं

जन घोषणा पत्र 2018-23
शहर के लोगों ने रीवा विधानसभा के लिए रखी अपनी प्राथमिकताएं

रीवाSep 17, 2018 / 09:52 pm

Mrigendra Singh

rewa

vidhansabha election 2018

रीवा। विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, ऐसे में सभी राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए अपनी प्राथमिकताएं गिना रहे हैं। जनता से कोई संवाद नहीं बना रहा कि उसकी जरूरतों के लिए क्या प्राथमिकताएं होना चाहिए। पत्रिका के चेंजमेकर्स अभियान के तहत ‘जन एजेंडा 2018-23Ó की शुरुआत की गई है। जिसमें हर विधानसभा में बैठकें आयोजित की जा रही हैं और लोगों से उनकी राय पूछी जा रही है। रीवा विधानसभा के लिए लोगों की राय जानने पत्रिका कार्यालय में कई चरणों में बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों के साथ आम लोग भी शामिल हुए।
रीवा विधानसभा का अधिकांश हिस्सा शहरी क्षेत्र में आता है। इस कारण लोगों ने शहर की समस्याओं और उनके निदान पर फोकस करते हुए काम करने की इच्छा जाहिर की है। जिसमें लोगों ने यह कहा कि शहर का विकास तो कुछ वर्षों में तेजी से हुआ है लेकिन वह अव्यवस्थित रहा है। नगर एवं ग्राम निवेश द्वारा बनाए जाने वाले मास्टर प्लान का यदि पालन किया जाता तो रीवा अपने आप स्मार्ट सिटी के रूप में सामने आता। कई ऐसी योजनाएं यहां पर चल रही हैं जो दूसरे शहरों को बड़ा नाम दे चुकी हैं, यहां पर क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं होने के चलते समस्याएं अब भी बनी हैं।
बुनियादी सुविधाओं के सुपरवीजन को हों ठोस इंतजाम
जन घोषणा पत्र के लिए अधिकांश लोगों ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि के लिए सरकार करोड़ों रुपए फूंक रही है। इनका लाभ लोगों को फिर भी पर्याप्त नहीं मिल पाता। स्कूलें तो खोल दी गई हैं लेकिन वहां पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर में मेडिकल कॉलेज की अस्पताल के साथ ही जिला अस्पताल भी है, इसके बावजूद लोगों को नागपुर, बनारस, जबलपुर, भोपाल जैसे शहरों के लिए रेफर किया जाता है। बिजली २४ घंटे देने की बात हो रही है पर ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर जले हुए हैं। सरकार की योजनाओं का सुपरवीजन करने के लिए ऐसे प्रयास किए जाएं कि उसका लाभ जनता तक सीधे पहुंचे।
लोगों ने रखी ये बातें
– नागेन्द्र सिंह गहरवार, अधिवक्ता– हर शहर अपनी ऐतिहासिक पहचान बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। रीवा में धीरे-धीरे इनका वजूद नष्ट हो रहा है। इस कारण हेरिटेज सिटी के रूप में यहां का विकास होना चाहिए। योजना से काम हो तो एक ही जगह बार-बार निर्माण कराने और उसे तोडऩे की जरूरत नहीं हो।
– डॉ. सविता मिश्रा- सड़कों को लेकर शहर में कोई योजना नहीं है। जब मन हुआ इसे खोदकर छोड़ दिया जाता है। इस कारण सड़कों को व्यवस्थित किया जाए, साथ ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा के साथ स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं पर जोर देने की जरूरत है। बाजार और दुकानों का दायरा बढऩा संपूर्ण विकास नहीं है।
– बीके माला, सामाजिक कार्यकर्ता- जिन मुद्दों को लेकर सरकारें बनती हैं, वह सत्ता पाते ही भटकने लगती हैं। इस कारण यह तय होना चाहिए कि जनता से पूछकर कार्य हों। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है, बुनियादी सुविधाएं लोगों तक पहुंचे यह भी सुनिश्चि करें।
– केदार यादव, अध्यक्ष यादव महासभा- मैं ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता हूं, वहां बिजली की समस्या बनी रहती है। ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। सड़कें उखड़ रही हैं। शहरों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यवस्थित विकास की जरूरत है।
– विकास पाण्डेय, सामजिक कार्यकर्ता- रीवा शहर का ट्रैफिक बिगड़ता जा रहा है। चौराहों में सिग्नल जरूरत के हिसाब से लगाए जाएं, सड़क पर जाम नहीं लगे इसके लिए बड़े शहरों की तरह प्लान तैयार हो। शहर की सड़कें और नालियों को भी व्यवस्थित करने की जरूरत है।
– रामबहोर यादव, किसान- व्यवसायिक खेती और गांवों में स्वरोजगार के इंतजाम हों। सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन बंद होना चाहिए, इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है और पढ़ाई बाधित होती है। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत है।
– बब्लू विश्वकर्मा, व्यवसाई- शहर में रहने वालों को सड़क, पानी, सफाई और व्यवस्थित कॉलोनियों की जरूरत होती है। सीवरेज और स्टार्म वाटर प्रोजेक्ट का बेहतर क्रियान्वयन करने की जरूरत है।
– मनोज विश्वकर्मा, व्यवसाई- रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं, जिससे शहर के युवाओं को नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। कौशल विकास की योजनाओं को और बढ़ाया जाए।

– केके पाण्डेय, शिक्षक- शहर में चार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां से करीब २०० छात्र हर साल डिग्री लेकर निकलते हैं। ऐसे छात्रों के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध हों। अधिक संख्या में रोजगार देने वाले उद्योग खोले जाएं।
– राधिकेश पाण्डेय, छात्र- स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर क्रियान्वयन की जरूरत है। मेडिकल कॉलेज के अस्पताल से भी उपचार नहीं मिल पाता, रेफर होकर दूसरी जगह जाना पड़ता है। डॉक्टर्स की कमी दूर की जाए। सरकारी स्कूलों, कॉलेजों के भी पद भरे जाएं।
– मनोज मिश्रा, अधिवक्ता- बड़े संस्थान अब शहर के बाहर स्थापित हों ताकि उन क्षेत्रों का भी विकास हो। ट्रैफिक सुधारा जाए, बस स्टैंड भी शहर के बाहरी हिस्सों में बनाए जाएं। अवैध कॉलोनियों का निर्माण बंद किया जाए।
राजकुमार जायसवाल– बीते कई सालों में शहर तेजी से विकास की ओर बढ़ा है। यहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर संसाधन हैं। इनमें खाली पदों को भरने का काम होना चाहिए।

रहीम खान, व्यवसाई– शहर के भीतर कुछ ऐसे कारोबार हैं जो जनता के लिए समस्या बनते हैं। इन्हें बाहर स्थापित किया जाए। दूध डेयरियां, वाहनों के सर्विस स्टेशन के लिए शहर के बाहर जगह दी जाए।
गायत्री सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता- महिलाओं के लिए शहर में अलग से अस्पताल खोला जाना चाहिए। महिला सुरक्षा के लिए भी ठोस इंतजाम किए जाएं। शहर में प्रस्तावित सिटी बस में महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था होना चाहिए।

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