मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कारपोरेशन (एमपीआइडीसी) के क्षेत्रीय कार्यालय रीवा क्षेत्र में रीवा और शहडोल संभाग है। तत्कालीन सरकार ने विंध्य में जबलपुर से बनारसत तक उद्योग कॉरीडोर बनाने के लिए रीवा-शहडोल संभाग में लगभग 739.436 हेक्टेयर जमीन यानी 18.43.84एकड़ जमीन इंडस्ट्रियल एरिया विकिसित करने के लिए लैंड बैंक बनाया है। पुराने इंडस्ट्रियल एरिया को छोड़ दें तो उद्योग स्थापित करने के लिए एमपीआइडीसी ने करीब बीस साल से लेकर अब तक इंडस्ट्रियल एरिया विकासित करने के लिए आरक्षित भूमि पर विकास के नाम पर एक ईंट नहीं रखी जा सकी।
दो साल पहले तत्कालीन उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के गृह गांव क्षेत्र में मऊगंज तहसील के घुरेहठा में 436.6324 एकड़ (174.043 हेक्टेयर ) जमीन इंडस्ट्रियल एरिया के लिए आरक्षित की गई है। लंबे समय बाद भी कोई उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका है। इसके अलावा सतना के बिरसिंगपुर के नयागांव में भी जमीन अधिग्रहीत कर छोड़ दी गई है। इसी तरह सिंगरौली सहित शहडोल में कोतमा आदि कई तहसीलों में इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने के लिए तत्कालीन सरकारों ने जमीन को अधिग्रहत कर लिया है। लेकिन, आज तक उद्योग खड़ा नहीं कर सके।
उदाहरण के तौर पर डगा बरिगवां में इंडस्ट्रियल एरिया के लिए जमीन अधिग्रहीत किए करीब बीस साल हो गए। अभी तक इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है। जबकि यहां पर अधिकांश एरिया में अवैध बस्ती बस गई है। जिसे खाली कराने में अफसरों का पसीना छूट रहा है। इसी तरह फुलवारी, गनियरी सहित कई अन्य जगहों पर दो साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इंडस्ट्रियल एरिया विकासित नहीं की जा रही है।
उद्योग लगाने के लिए रीवा में नहीं है प्लाट
इंडस्ट्रियल एरिया में नए उद्योग स्थापित करने के लिए प्लाट खाली नहीं है। जो हैं भी व उद्यमियों के मापदंड में नहीं हैं। रीवा में एमपीडीआइसी की ओर से मऊगंज के घुरेहठा और गुढ़ में भूमि आरक्षित की गई है। लेकिन अभी तक विकसित नहीं की जा सकी है। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि गुढ़ में काम चालू कर दिया गया है। सतना और सिंगरौली के बैढऩ सहित कई अन्य जगहों पर भी काम चालू कर दिया गया है।
विंध्य में खंडहर हो रही इंडस्ट्रियल एरिया
एमपीआइडीसी के अधिकारियों की अनदेखी के चलते रीवा और शहडोल संभाग में पहले से विकसित की गई इंडस्ट्रियल एरिया खंडहर हो रही है। चोरहटा उद्योग विहार में कई कंपनियां बंद हो गईं। इसी तरह सतना में कुछ कंपनियों को छोड़ दे तो ज्यादातर कंपनियां बंद हो गई हैं। या फिर उद्यमी लीज डीड कराने के बाद कंपनी नहीं लगा रहे हैं।