बता दें कि, एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बढ़ते जनसमर्थन को देखते हुए प्रदेशभर में राजनेता पसोपेश में दिखाई दे रहे हैं। साथ ही नेताओं को लोगों के गुस्से का भी शिकार होना पड़ रहा है, लेकिन विरोध-प्रदर्शन के बीच रीवा के राजनेता लक्ष्मण तिवारी का खुलकर इस एक्ट के विरोध में सामने आए हैं। पूर्व विधायक व भाजपा नेता लक्ष्मण तिवारी ने एससी एसटी एक्ट के विरोध में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने अपने कार्यकाल में मऊगंज को जिला बनाने की उठ रही मांग को बल देते हुए सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ी। सरकार ने आश्वासन भी दिया था। प्रक्रिया भी शुरू हुई थी लेकिन घोषणा नहीं होने के चलते मांग अधूरी रह गई। इस बीच अपर कलेक्टर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना कर संकेत भी दिया गया था कि यह क्षेत्र सरकार के लिए महत्वपूर्ण है। कहा है कि प्रदेश में अब कोई भी जिला बनने की वरीयता रखता है तो वह मऊगंज है। यदि दूसरा कोई जिला घोषित हुआ तो मऊगंज की जनता के साथ बड़ा आंदोलन करेंगे।
सरकार की उपलब्धियों को लेकर आम जनता तक भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मऊगंज में नहीं पहुंचा पा रहे हैं। दूसरे कई ऐसे नेता हैं जो आपसी गुटबाजी के चलते जनता से संवाद स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। यह बात पार्टी की बैठकों में कई बार उठाई गई। सांसद जनार्दन मिश्रा ने भी मोर्चा संभाला था और गांवों में संपर्क के लिए निकले थे। इसके बावजूद कार्यकर्ता अब तक निराश है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वह भाजपा की सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है।