सुबह करीब 10 से 10.45 बजे के बीच इंदौर तरफ से डेमू ट्रेन आई थी। प्लेटफॉर्म नंबर दो से ट्रेन को रवाना किया गया। ट्रेन के चलने के कुछ देर बाद ही इसके व्हील रगडक़र चलने लगे। यात्रियों के शोर को सुनकर गार्ड ने ट्रेन को रुकवाया व जांच की गई। इसके बाद जब गार्ड व चालक दल को कुछ समझ में नहीं आया तो ट्रेन को फिर से रवाना कर दिया गया। इस बीच कुछ दूरी पर चलने के बाद जब ट्रेन लहराने लगी तो यात्रियों ने शोर मचाते हुए जंजीर को खींच दिया।
जंगल में खड़ी रही ट्रेन, खाल पार पहुंचे अधिकारी ट्रेन को रतलाम जावरा के बीच जंगल में खड़ा किया गया। इसके बाद चालक दल व गार्ड ने रेलवे नियंत्रण कक्ष को सूचना दी। मामले में सूचना मिलते ही मंडल के अधिकारियों में हडक़ंप मच गया। इसके बाद मंडल रेल प्रबंधक आरएन सुनकर, अपर मंडल रेल प्रबंधक केके सिन्हा, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक विपुल सिंघल सहित सेक्शन इंजीनियर आदि घटना स्थल के लिए सुबह 11 बजे रवाना हुए। इस दौरान जब अधिकारी बताए हुए स्थान पर पहुंचे तो बड़ी समस्या खड़ी हो गई। जहां टे्रन को जंगल में खड़ा किया गया था, उसके व सडक़ मार्ग के बीच में बड़ी खाल थी। इसके बाद जंगल में ही अपने वाहनों को खड़ा करके अधिकारी खाल पार करके दुर्घटना स्थल की और गए।
तीस मिनट तक पता नहीं मंडल के अधिकारियों के पहुंचने के बाद तीस मिनट तक ये पता नहीं कर पाए की कौन सा व्हील जाम हुआ है। इसके बाद देर तक अधिकारी आपस में चर्चा करते रहे। बाद में निर्णय लिया गया कि ट्रेन के अंतिम पांच डिब्बों को काटकर ट्रेन को आगे के स्टेशन के लिए रवाना किया जाए। इसके बाद दोपहर 12.22 बजे पांचों डिब्बे काटे गए व 12.25 बजे ट्रेन को रवाना किया गया। इसके लिए अलग से इंजन दोपहर 12.10 बजे भेजा गया। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन जब इंदौर से चली थी, तब से परेशानी आ रही थी व रगडक़र चल रही थी। इस बारे में गार्ड व चालक को बताया था, लेकिन उन्होंने रतलाम में इस बारे में बताने को कहा। रतलाम में भी बताया, लेकिन किसी ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। फिलहाल मामले की जांच के आदेश दे दिए गए है।