दो दिनी राज्य स्तरीय सहज योग सम्मेलन में यह जानकारी सहजयोग के मध्यप्रदेश समन्वयक महेन्द्र व्यास, प्रदीप रस्से, प्रेमचंद्र गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि शनिवार को सुबह हजारों सहजयोगियों की उपस्थिति में महोत्सव का शुभारंभ हुआ। मुख्यअतिथि हरियाणा के प्रदेश समन्वयक सुरेन्द्र साहनी, राजस्थान के महेश सैनी, इंदौर से एसकेबी कुलकर्णी, मध्यप्रदेश कोऑर्डिनेटर महेन्द्र व्यास, पूजा प्रभारी प्रदीप रस्से एवं सहजयोग मध्यप्रदेश कमेटी के सदस्य तथा विभिन्न नगरों के कोऑर्डिनेटर मौजूद थे। प्रारंभ में स्वागत भाषण महेन्द्र व्यास एवं प्रदीप रस्से ने देते हुए बताया कि आज पूरे विश्व में सहजयोग फैल रहा है।
सहजयोग पूरी तरह नि:शुल्क मध्यप्रदेश के 5 जिलों को छोड़कर शेष जिलों में सहजयोग के केन्द्र हैं और हजारों लोग इससे जुड़े हुए हैं। सहजयोग पूरी तरह नि:शुल्क है। इसे करने से हाथ की हथेली एवं अंगुलियों पर शीतल चेतन्य की लहरियां जिन्हें अंग्रेजी में बाइब्रेशन कहते हैं, उसका अनुभव प्रारंभ में ही नए साधकों को होता है। सहजयोग के केन्द्रों पर नए साधकों को प्रारंभ से ही ध्यान करने की विधि बताई जाती है। सहजयोग कितने दिनों में सीखा जा सकता है जिसके जवाब में व्यास ने बताया कि सहजयोग पूरी तरह सरल है, माता निर्मला देवीजी द्वारा नाडिय़ों के शुध्दिकरण की जो विधि बताई गई है वह मात्र कुछ मिनटों की है।
दिनभर सेमिनार पहले दिन राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा तथा अन्य प्रदेशों से सहजयोगी रतलाम पहुंचे। दिनभर विभिन्न विषयों पर सेमिनार हुए। सहजयोग के प्रख्यात भजन गायक अमरावती से मिलिंद दलाल, संदीप दलाल, नासिक से धनंजय धूमाल, जयपुर से शशि शर्मा ने भजनों व म्यूजिक थैरेपी के माध्यम से चक्र नाडिय़ों का शुद्धि करण कराया। सेमिनार का समापन रविवार को होगा। आयोजन समिति के वरिष्ठ सदस्य ब्रजराज सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अतुलकुमार सिंह एवं रतलाम सहजयोग परिवार की आयोजन में भूमिका रही।