इसी आधार पर पार्टी की ओर से आयोग से यह अपील की गई थी कि झारखंड में जदयू को तीर का चिह्न नहीं दिया जाए। भट्टाचार्य ने बताया कि जब बिहार में उनकी पार्टी को तीर-धनुष चुनाव चिह्न देने से मना कर दिया गया था, तब पार्टी की ओर से यह बताया गया था कि झामुमो की स्थापना एकीकृत बिहार में हुई थी, इसलिए मान्यता रद्द नहीं की जाए।
बताया भाजपा की राजनीतिक चाल
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि भाजपा की एक सोची-समझी चाल थी कि जदयू को झारखंड में लाकर चुनाव लड़ाया जाए, ताकि तीर-धनुष और तीर चुनाव चिह्न को लेकर जनता दिग्भ्रमित हो और झामुमो के वोटों का बंटवारा हो, लेकिन भाजपा का यह मंसूबा अब पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष हेमंत सोरेन द्वारा झारखंड परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की जा रही है, आगामी चुनाव में झारखंड से भाजपा का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा।