रणनीतिकारों को उम्मीदें भी हैं, तो इस खामोशी का डर भी कि मतदाता (
voters ) आखिर में क्या करने वाला है? शहरों में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा है, तो गांवों में बात मूलभूत सुविधाओं तक ही सिमटी रही। यह सीट पूर्व जयपुर राज परिवार की बेटी दीया कुमारी के चुनावी मैदान में उतरने से हॉट सीट बन गई है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर उनके सामने ताल ठोक रहे हैं। यहां कुल 11 उम्मीदवार हैं। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा की दीया कुमारी और कांग्रेस के देवकीनन्दन गुर्जर के बीच है।
इस वक्त चुनावी तपिश शबाब पर है। गुंजोल बस स्टैण्ड राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर है। रोजमर्रा की तरह बसों से मुसाफिर उतर रहे हैं, गंतव्य के लिए बैठ रहे हैं। हाइवे किनारे यह ग्रामीण और शहरी जिन्दगी की रफ्तार को नापती सी दिखती है। गाडिय़ों के शोर-शराबे में अगर कहीं राजनीतिक चर्चा है, तो वह इक्का-दुक्का नाश्ते और पान की दुकानों पर। आगे बढऩे पर एकल सड़क के दोनों तरफ कच्चे-पक्के घरों में झांकने पर जिन्दगी रोजाना की तरह चलती चली जा रही है। सब अपने काम में व्यस्त। हैण्डपम्प पर देहाती महिला मीरा ने बताया कि गांव की सड़कें बेहद खराब है। नालियां कभी बनी ही नहीं।
गाडिय़ों की रफ्तार उनके घरों तक गंदगी पहुंचा देती हैं। पास में ईंट भट्टों का धुआं बरसों से दम घोट रहा है। बागोल बस स्टैण्ड पर मचीन्द की ओर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे राधेश्याम लोहार ने ‘भारत के भविष्य के चुनाव की चर्चा छेडऩे पर कहा, दस दिन और बाकी है। स्थानीय कार्यकर्ता रोजाना घर-घर सम्पर्क कर रहे हैं, नुक्कड़ बैठकें कर रहे हैं, लेकिन किसी वादे पर बात नहीं करते।
गांव में सड़कें बनी हैं, लेकिन उनकी मरम्मत नहीं होती। पानी आता है, लेकिन शुद्धता नहीं है। इलाके के लोग आर्थिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए गुजरात-महाराष्ट्र पलायन कर रहे हैं। यहां पढ़ रहे युवाओं को भी यहीं कोई रोजगार मिलने की उम्मीद कम ही होती है। परावल में दशकों पुराना छोटा सा प्रतीक्षालय आज भी मुसाफिरों को सुकून नहीं दे पाता है। तेज बारिश आने पर इसमें अन्दर तक पानी के छींटें भिगो देते हैं। बागोल की ओर से पूर्वी दिशा में परावल को जोड़ती सड़क दशकों बाद भी कच्ची है। नरपतसिंह ने बताया कि परावल तिराहे से मोलेला मार्ग पर बसे घरों के आसपास नालियां नहीं होने से गंदगी फैली है।
मुख्य मार्ग होने के बावजूद समय पर मरम्मत नहीं होती। पास में नाथद्वारा तहसील का दूसरा सबसे बड़ा नंदसमंद बांध है, लेकिन यह रीत जाता है और गर्मियों में हलक सूखने लगते हैं। मोलेला गांव मिट्टी को आकार देता है, लेकिन यहां के बस स्टैण्ड पर डामर की बजाय धूल ही बिखरी दिखाई दी। गांव के युवा कैलाश प्रजापत बताते हैं कि टेराकोटा आर्ट के लिए दुनियाभर में मशहूर इस केन्द्र की किसी सरकार ने सुध नहीं ली।
आम जनता के लिए जिम्मेदार अच्छी सड़कें तक नहीं बना सके। नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र के सेमा, बड़ा भाणुजा और मचीन्द क्षेत्र को एकमात्र बड़ी सौगात यहां बाघेरी का नाका बनने से मिली, लेकिन इस बांध को पर्यटन के मद्देनजर विकसित करने की कोई योजना नहीं होने से इलाके के लोगों में नाजरागी है। वर्षाकाल में चार माह यहां के लोगों को अस्थायी रोजगार दे सकते हैं।
जो किसानों की सुनेगा, उसी को वोट संसदीय क्षेत्र के राजसमंद विधानसभा क्षेत्र के कुंवारिया निवासी बुजुर्ग अल्लाउद्दीन मंसूरी कहते हैं, ‘मैं किसानों, मजदूरों को रोजगार दे सकें, उन्हें वोट दूंगा। दोनों प्रमुख प्रत्याशियों को अभी परख रहा हूं, तय बाद में ही करूंगा। सरकार किसी की भी आए, जिले का हर तरह से विकास होना चाहिए। कुंवारिया बस स्टैण्ड पर समोसे तल रहे प्रकाश पूर्बिया कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री योग्य हो, तो देश बनेगा-देश चलेगा। आकोदिया का खेड़ा के किसान किशनलाल जाट कहते हैं, ‘जो किसानों के हित के लिए काम करेगा, ऐसे प्रत्याशी को चुनना प्राथमिकता है। झूठे वादों के झांसे में हम नहीं आएंगे।
हर चुनाव में वादों का धोखा, अब नहीं सहेंगे विश्वविरासत कुम्भलगढ़ के नाम से बने विधानसभा क्षेत्र के लोगों का दर्द बहुत है। दशकों से लोग बिजली-पानी-सड़क की उम्मीदें पाले बैठे हैं, लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं है। दुनिया के नक्शे पर यहां के पर्यटन का नाम जितना चमकीला है, उतनी ही धुंधली यहां के विकास की तस्वीर है। यकीन न हो तो कोई केवल कुम्भलगढ़ के आसपास के इलाके की 20 किलोमीटर परिधि की सड़कों की दशा ही देख ले।
उदयपुर, राजसमंद और नाथद्वारा से जुड़े मार्ग खस्ताहाल हैं। यहां का पर्यटन लगातार बेरुखी की चोट सह रहा है, सैलानी घट रहे हैं। पर्यटन से इतर गांवों की अपनी मूलभूत समस्याएं हैं। पहाड़ी और वनक्षेत्र होने से रोजमर्रा की जिन्दगी मुश्किल में होती है, जिसे आसान बनाने के लिए परिवहन, सड़कें, बिजली, पेयजल, संचार व्यवस्था को सुधारने की जहमत नेताओं ने नहीं उठाई। एक युवा मनीष बताते हैं कि बेड़च का नाका परियोजना हर चुनाव में एक धोखा साबित हुई। अब सोच-समझकर वोट करेंगे।
रोचक मुकाबला मेवाड़ और मारवाड़ में फैली इस लोकसभा सीट पर साल 2009 में पहले चुनाव में कांग्रेस के गोपालसिंह शेखावत तथा 2014 में दूसरे चुनाव में भाजपा के हरिओमसिंह राठौड़ को जनता ने अपना सांसद चुना। तीसरी बार जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी व सवाईमाधोपुर की पूर्व विधायक दीया कुमारी (
Diya Kumari ) के भाजपा के टिकट पर फिर चुनाव लडऩे से दिलचस्प बन गया है। देवकीनंदन गुर्जर ( Devkinandan Gurjar ) 2013 में नाथद्वारा सीट से विधानसभा का चुनाव हारने के बाद फिर से किस्मत आजमा रहे हैं।
ये चुनेंगे भावी सांसद कुल मतदाता : 18 लाख 99 हजार 813
पुरुष मतदाता : 09 लाख 77 हजार 712
महिला मतदाता : 09 लाख 22 हजार 090
थर्ड जेंडर : 11