scriptडॉ. रमन अपनी पिछली जीत से आधे से कम से जीते, सबसे बड़ा उलटफेर डोंगरगांव से मधुसूदन की हार, खैरागढ़ से देवव्रत की जीत | Chhattisgarh Assembly Elections 2018, Rajnandgaon election result | Patrika News
राजनंदगांव

डॉ. रमन अपनी पिछली जीत से आधे से कम से जीते, सबसे बड़ा उलटफेर डोंगरगांव से मधुसूदन की हार, खैरागढ़ से देवव्रत की जीत

अकेले मुख्यमंत्री (अब निवृत्तमान) डॉ. रमन सिंह अपनी सीट बचा पाए लेकिन वे जीत के अपने पिछले अंतर से आधे से भी कम वोट से जीत पाए। जिले में खैरागढ़ से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का खाता भी खुल गया है।

राजनंदगांवDec 13, 2018 / 11:37 am

Dakshi Sahu

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डॉ. रमन अपनी पिछली जीत से आधे से कम से जीते, सबसे बड़ा उलटफेर डोंगरगांव से मधुसूदन की हार, खैरागढ़ से देवव्रत की जीत

राजनांदगांव. विधानसभा चुनाव के सारे नतीजे मंगलवार देर रात तक जारी हुए हैं। इस बार कांग्रेस अपने चार विधायक की संख्या को बरकरार रखने में कामयाब रही है तो राज्य भर में चली कांग्रेस की आंधी में भाजपा अपने दो विधायक की संख्या को भी बरकरार नहीं रख पाई। अकेले मुख्यमंत्री (अब निवृत्तमान) डॉ. रमन सिंह अपनी सीट बचा पाए लेकिन वे जीत के अपने पिछले अंतर से आधे से भी कम वोट से जीत पाए। जिले में खैरागढ़ से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का खाता भी खुल गया है।
अपनी ही सीट बचा पाए सीएम
जिले में सबसे बड़ी जीत डोंगरगढ़ से कांग्रेस के भुनेश्वर बघेल की रही तो सबसे छोटी जीत खैरागढ़ से देवव्रत सिंह ने हासिल की। राजनांदगांव जिले की छह विधानसभा सीटों के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। कांग्रेस ने अपना पिछला प्रदर्शन जारी रखते हुए चार सीटें अपने खाते में कर ली हंै तो १५ सालों तक जिले का नेतृत्व करते हुए राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ. रमन सिंह यहां सिर्फ अपनी सीट बचा पाए। पिछली बार भाजपा के पास रही डोंगरगढ़ सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया जबकि कांग्रेस के पास रही खैरागढ़ सीट छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने हथिया ली। कुल मिलाकर नुकसान में भाजपा रही।
भंवर में फंस गए
15 सालों तक राज्य में शासन करने वाले डॉ. रमन सिंह इस बार भंवर में फंसे नजर आए। राज्य में तीसरी बार हुए चुनाव में उन्होंने ३५८६६ के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार पहले चरण से ही मात्र १४५ वोटों की बढ़त लेकर आगे बढ़े डॉ. रमन इस बार ऐसा कमाल नहीं कर पाए। आखिरी के एक दो दौर में कांग्रेस की करूणा शुक्ला ने डॉ. रमन की लीड को कम करने की भी कोशिश की लेकिन आखिरकार उनकी जीत हुई। वे जीते लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछली बार से आधे से भी कम रहा।
भाजपा ने राजनांदगांव के महापौर और पूर्व सांसद मधुसूदन यादव को अपना ट्रंप कार्ड मानते हुए डोंगरगांव सीट जीतने उन्हें वहां से उतारा लेकिन पिछली बार महज १६९८ वोट से जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के दलेश्वर साहू ने उनको १९ हजार ८३ मतों के भारी अंतर से पराजित किया। हालत यह रहा कि यादव सिर्फ १२ वें और १८ वें राउंड में ही बढ़त ले पाए। इससे पहले, पहले राउंड से बढ़त लेने वाले दलेश्वर लगातार अपनी बढ़त बढ़ाते रहे। जिस दौर में यादव ने बढ़त ली, तब तक दलेश्वर निर्णायक बढ़त ले चुके थे।
बेहतर परिणाम मिला
मां बम्लेश्वरी की नगरी डोंगरगढ़ से जिले की सबसे बड़ी जीत कांग्रेस के भुनेश्वर बघेल ने दर्ज की। भुनेश्वर ने ३५ हजार ४१८ वोटों के अंतर से भाजपा की विधायक रहीं सरोजनी बंजारे को हराया। इस सीट पर लगातार तीन बार से भाजपा का विधायक चुना जा रहा था और इस बार इस बड़े अंतर की जीत के साथ कांग्रेस ने अपने पुराने गढ़ में शानदार वापसी की। अपने गढ़ में हारे हुए प्रत्याशी पर भरोसा कर कांग्रेस लगातार अपना नुकसान कर रही थी लेकिन उसने इस बार अपनी गलती सुधारी और उसे इसका बेहतर परिणाम भी मिला।
आंकड़ों के लिहाज से सबसे छोटी लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से सबसे बड़ी जीत खैरागढ़ से देवव्रत सिंह ने हासिल की। खैरागढ़ राजपरिवार के राजा देवव्रत पिछले नौ साल से राजनीतिक वनवास झेल रहे थे और इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़करजोगी कांग्रेस का दामन थामा था। इस जीत के साथ उनका फैसला सही साबित हो गया। देवव्रत ने भाजपा के कोमल जंघेल को ८७० वोटों से पराजित किया। कांग्रेस के मौजूदा विधायक गिरवर जंघेल तीसरे नंबर पर खिसक गए। वे बमुश्किल अपनी जमानत बचा पाए।
पार्टी का निर्णय निकला सही
छत्तीसगढ़ की पांचवीं विधानसभा में राजनांदगांव जिले से इकलौती महिला छन्नी साहू पहुंच रही है। खुज्जी सीट से छन्नी ने भाजपा के हिरेन्द्र साहू को पराजित किया। छन्नी और हिरेन्द्र दोनों मौजूदा जिला पंचायत के सदस्य हैं। दोनों के बीच मुकाबला एकतरफा अंदाज में रहा। छन्नी ने हिरेन्द्र को २७ हजार ४९७ वोटों के भारी अंतर से पराजित किया। इस सीट पर कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक भोलाराम साहू की टिकट काटकर छन्नी पर भरोसा जताया था और चुनाव परिणाम से साफ हो गया कि पार्टी का यह निर्णय सही था।
माओवाद प्रभावित विधानसभा क्षेत्र मोहला-मानपुर से भाजपा लगातार दो चुनाव हार रही है। उसने इस बार औंधी क्षेत्र की हल्बा प्रत्याशी कंचनमाला भुआर्य को सामने लाकर उम्मीद जताई थी कि कांग्रेस से यह सीट छीनी जा सकती है लेकिन इस दांव पर कांग्रेस का अपने विधायक की टिकट काटकर नए को टिकट देने का दांव भारी पड़ गया। कांग्रेस के इंद्रशाह मंडावी ने यहां से भुआर्य को 21 हजार 48 के भारी वोटों से पराजित किया। इंद्रशाह नौकरशाह रहे हैं और करीब छह महीने पहले ही राजनीति में आए हैं।
देवव्रत ने खोला जोगी कांग्रेस का खाता
बरसों तक खैरागढ़ राजपरिवार के हाथों रही खैरागढ़ विधानसभा सीट पर 2006 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से यह सीट छीनने भाजपा ने पहली बार लोधी दांव खेला और इसे खूब प्रचारित भी किया। इस सीट पर जातिवाद की हवा इस कदर फैलाई गई कि उसके बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां टिकट वितरण के समय लोधी उम्मीदवार पर ही भरोसा करने लगे। अपनी पुरानी जमीन हासिल करने के संघर्ष में देवव्रत सिंह को कांग्रेस और भाजपा के लोधी उम्मीदवारों से जूझना पड़ा और आखिर में दोनों को पीछे छोड़ वो जीते। इस जीत के साथ जनता ने यह संकेत दे दिया है कि जीत के लिए जातिवाद की योग्यता जरूरी नहीं है।
इतने उम्मीदवारों की की जमानत हुई जब्त
छह सीटों पर 93 प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन जमानत बचाने में जीते उम्मीदवारों के अलावा आठ अन्य सफल हो पाए। कुल 79 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। खैरागढ़ और मोहला-मानपुर दो सीटें ऐसी रहीं जहां तीसरे नंबर पर आए प्रत्याशियों की जमानत बच पाई बाकी सारे जगह बाकी लोग सिर्फ वोट कटाऊ ही साबित हुए।
नोटा ने बटोरे 16 हजार से ज्यादा वोट
इनमें से कोई नहीं यानि नोटा ने इस बार भी काफी सारे वोट बटोरे हैं। जिले की छह सीटों पर नोटा ने १६ हजार ३१३ वोट हासिल किए हैं। सबसे ज्यादा ४ हजार २३८ वोट मोहला मानपुर में नोटा को मिले हैं। सबसे कम १३८३ वोट खुज्जी में गए हैं। खैरागढ़ में ३०६८, डोंगरगढ़ में ३८९६, राजनांदगांव में १५०१, डोंगरगांव में २२५७ वोट नोटा में गए हैं।
यहां बचाई जमानत
चुनाव में तीसरी शक्ति बनने की कोशिश कर रहे छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने तीन सीटों में अच्छी उपस्थिति दिखाई। एक सीट में तो उसे जीत भी हासिल हुई है। दूसरी सीट मोहला-मानपुर में जीत हार के अंतर से ज्यादा वोट हासिल कर जोगी कांग्रेस के संजीत ठाकुर ने अपनी जमानत बचा ली है। खुज्जी में जोगी कांग्रेस के जरनैल सिंह भाटिया तीसरे नंबर पर जरूर रहे पर उनकी जमानत नहीं बच पाई। तीसरी शक्ति बनने की कोशिश में लगी आम आदमी पार्टी को यहां करारी मात खानी पड़ गई और उसके सारे प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। कई प्रत्याशियों को तो नोटा से भी कम वोट मिले हैं।
गांव पहुंचा सदन, शहर का नेता हुआ फेल
त्रिस्तरीय पंचायती राज में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले दो नेता छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहुंच गए हैं। ये दोनों नेता कांग्रेस के हैं। जिला पंचायत सदस्य छन्नी साहू और भुनेश्वर बघेल निर्वाचित हुए हैं। शहर में राजनीति करने वाले राजनांदगांव नगर निगम के महापौर मधुसूदन यादव चुनाव हार गए हैं। भाजपा के ही जिला पंचायत सदस्य हिरेन्द्र साहू भी कामयाब नहीं हो पाए।

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