सुदामा जी भी परम सादगी और सज्जनता की मूर्ति थे, जिनके चरित्र से सात्विकता, सच्चरित्रता, शांति के दर्शन होते थे। वर्तमान समय में व्यक्ति के जीवन में अनेक बुराइयों का समावेश हो गया है। जो दुर्गुण होंगे वही हमारे कार्य व्यवहार, आचरण और बाहर के वातावरण में हमारे मन को संलग्न करेंगे। उसी प्रकार की विचारधारा के हमारे मित्र बनेंगे। समान व्यवहार, व्यवसाय और गुणों से युक्त व्यक्ति ही परस्पर मित्र होते हैं एइसीलिए मित्रता का धर्म ही बहुत कठोर है।
उन्होंने कहा कि हम सभी मनुष्यों का भवसागर से पार होने का एकमात्र उपाय कलयुग में श्रीमद् भागवत की कथा ही है। कथा समापन पर श्रद्धालुओं द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण की पूजा-अर्चना की गई और प्रसाद वितरण किया गया।
श्रीकृष्ण का एक भी निर्णय गलत नहीं था
सांचेत. ग्राम हरदोट में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को समापन किया गया। बाबूलाल मैथिल के निवास पर आयोजित कथा में अंतिम दिन कथावाचक पंडित शिवनारायण शर्मा ने कहा कि ज्यादातर लड़ाई आपसी शंका से होती है। शंका से मुक्त होना सीखो। अगर सही समय पर सही निर्णय ले लेते हैं तो आप चाणक्य हैं और सरस्वती मां की कृपा है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का एक भी निर्णय गलत नहीं था। आपका भी कदम गलत नहीं होना चाहिए।
बुरा कोई नहीं है
उन्होंने कहा कि साहुकार का दिया हुआ कुछ दिन चलता है, लेकिन सांवरिया का दिया हुआ सात पीढ़ी तक चलता है। मानसिकता अच्छी है तो सब अच्छे हैं बुरा कोई नहीं है। दुख जड़ से काटना है तो भगवान की शरण में जाना ही होगा और हरि का नाम अगले जन्म तक का भी दुख काटता है।