नगर में भगवान गणेश की झांकियों को लेकर समितियों के गठन के साथ पंडाल की तैयारियां भी शुरू हो चुकी। नगर में सुप्रसिद्ध गणेश प्रतिमाओं के मूर्तिकारों के यहां एक से बढक़र एक गणेश प्रतिमाओं को रूप देने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है।
गंजबाजार में मूर्तिकार लखन चक्रवर्ती, राजेश चक्रवर्ती, राधेश्याम चक्रवर्ती, सुनील महोबिया, गोविंद प्रजापति आदि के यहां चार-पांच फीट से लेकर १२ फीट ऊंची गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया गया है। बड़ी मूर्तियोंं का निर्माण गणेश उत्सव समितियों के आर्डर पर ही किया जाता है।
मूर्तिकारों का कहना है कि प्रतिदिन पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। इसके बाद परिवार सहित प्रतिमाओं के निर्माण में सुबह से रात तक जुूटे रहते हैं। इस साल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ईको फ्रेंडली गणेश और मिट्टी के गणेश की प्रतिमाओं की डिमांड ज्यादा है। मिट्टी की मूर्तियों को भी वह बनवा रहे हैं। देशी-काली मिट्टी से लेकर प्याल कील घास लकड़ी, रंगरोगन, कच्चे मटेरियल के दाम चार से पांच गुना बढऩे की वजह से गणेश प्रतिमाओं के दाम भी बढाए गए हैं।
13 से घर-घर विराजेंगे भगवान गजानन सिलवानी. दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव का आगाज 13 सितंबर गुरुवार से हो जाएगा। इस दिन भगवान गजानन की आकर्षक मूर्तियों की पूर्ण विधि विधान के साथ नगर के अनेक स्थानों पर बनाए गए पंडालों में विराजित किया जाएगा। आयोजकों के द्वारा जोर शोर से तैयारियां की जा रही हंै।
नगर में डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर विघ्न विनाशक भगवान लंबोदर की छोटी बड़ी मूर्तियों की स्थापना की जाएंगी। मूर्तिकारों के द्वारा भगवान गजानन की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह बना हुआ है। मुख्यालय के साथ ही अंचल के प्रत्येक गांव में विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित करती हुई भगवान लंबोदर की मूर्तियां पंडालों में विराजित की जाएंगी।
बताया जा रहा है कि इस बार श्रीगणेश स्थापना का शुभ मुहुर्त सुबह 11:08 मिनिट से प्रारंभ होकर दोपहर 1:35 तक रहेगा। उक्त अवधि में श्रद्वालु मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं। पंडित भूपेंद्र शास्त्री ने बताया कि सुबह स्नान के बाद भक्तजन लाल वस्त्र धारण करें। सही दिशा का चुनाव कर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना से पहले उन्हे पंचामृत से स्नान कराएं। बाद में मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराने के बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर गणश प्रतिमा को स्थापित करें। साथ ही रिद्धी सिद्धी के रूप में गजानन की प्रतिमा के दोनो एक एक सुुपारी भी रखें। स्थापना के बाद मूर्ति को सिंदूर लगाएं व चंादी का वर्क लगाएं। इसके बाद जनेऊ, लाल पुष्प, दूर्वा, मोदक, नारियल, ऋतुफल आदि अर्पित करें।