सेव एनवायरमेंट के लिए इनकी भी भूमिका है
विक्रम बताते हैं कि सेव एनवायरमेंट के लिए पेड़-पौधों की रक्षा और पॉलुशन कंट्रोल के अलावा चिडिय़ों की भी अहम भूमिका होती है। हम स्कूल में बच्चों को यही सीख देते हैं। बच्चों को ऐसे इलाके में लेकर जाते हैं जहां चिडिय़ों का बसेरा होता है।
ये बच्चे हैं शामिल
चिराग शर्मा, खुशाल मिर्घानी, इशान हबलानी, इश्क मिरानी, पार्थ अग्रवाल, दक्षा शर्मा, दक्ष, प्रथम नागपाल, साक्षी, प्रकृति तिवारी, प्रेम थोरानी, तरुण बत्रा, विशाखा, ओजस्वी, अर्नव अग्रवाल, वंश सोलंकी, समृद्धि, पुष्कर, दृष्टि, हिमालय, शौर्य। बच्चों ने बताया कि बड्र्स की फोटोग्राफी और उसकी स्टडी करना हमें अच्छा लगता है। हमारे टीचर्स ने कई ऐसी जानकारी दी जिससे हमें लगा कि पक्षियों को बचाने के लिए लोगों को अवेयर करें। पक्षियों को प्यार दें। उन्हें अच्छा माहौल दें।
कंजर्वेशन ऑफ बॉयोडायवर्सिटी के लिए रिसर्च
कंजर्वेजन ऑफ बॉयोडायवर्सिटी के लिए रिसर्च कर रहे अनुपम सिसोदिया का कहना है इसके लिए फैक्ट्स और फिगर सहित साइंटिफिक आधार जरूरी होता है। जिसका एक इम्पोर्टेंट फेक्टर बर्ड स्टडी है। इसमें नोटेबल है कि बड्र्स अपनी मौजूदगी के साथ-साथ अपने हैबिटेट के लिए इंडिकेटिव हैं, जिनमें वे रहते हैं या जिनसे भोजन ग्रहण करते हैं। साथ ही पक्षी अन्य जीव-जन्तुओं के भोजन श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी हैं और ये प्रकृति की हमारी समझ को बेहतर बनाने के साधन भी हैं। कंजर्वेजन प्लान तैयार करने का पहला और महत्वपूर्ण स्टेज जिसका संरक्षण किया जाना है, उससे संबंधित जानकारियां जुटाना ही होता है। बर्डस पर मेरी स्टडी इसी जरूरत को पूरी करेगी।
बनाया है घोसला, आ सकें पंछी
स्कूल के पास खेत में छात्रों ने पेड़ पर घोसला बनाया है। नेचर में ही पक्षियों के लिए फूड होता है। घोसले बनाने से वे अट्रेक्ट होंगे और उन्हें भोजन भी मिल जाएगा। आसपास खेत होने से कीड़े-मकोड़े भी उनकी खुराक बनेंगे।