ई-चालान का भी खौफ नहीं
भीषण गर्मी का असर ट्रैफिक सिग्नल पर तैनात पुलिस जवानों पर ही नहीं पड़ रही है, बल्कि एक से डेढ़ मिनट रूकने वाले वाहन चालकों पर भी हो रहा है। चौराहे पर ग्रीन सिग्नल होने के लिए कहीं एक मिनट, तो कहीं डेढ़ मिनट तक रूकना पड़ता है। दोपहर 1 से 4 बजे के बीच तेज धूप और गर्मी के चलते कई वाहन चालक ग्रीन सिग्नल होने तक एक मिनट का इंतजार भी नहीं कर पाते। सिग्नल तोडकऱ निकल जाते हैं। उन्हें ई-चालान का डर भी नहीं रहता। सिग्नल तोडऩे के सबसे ज्यादा मामले भी दोपहर के समय के हैं। रोज 100 से अधिक लोग सिग्नल तोड़ रहे हैं।
धूप से बचने छतरी और पानी बोतल
ट्रैफिक पाइंटों में तैनात जवानों को विभाग की ओर से धूप से बचने छतरी दी गई है। साथ ही दोपहर में पानी को बोतल दिया जाता है। छतरी चौक के किनारे लगे रहते हैं। छतरी के नीचे खड़े होने से पूरे चौराहे का ट्रैफिक नियंत्रण नहीं हो पाता है। इस कारण चौक-चौराहों पर दोपहर को ट्रैफिक व्यवस्था अनियंत्रित हो जाती है।
सुबह-शाम की कार्रवाई पर जोर
कड़ी धूप के चलते ट्रैफिक पुलिस सुबह और शाम की कार्रवाई पर ज्यादा जोर दे रही है। ट्रैफिक नियम तोडऩे वालों पर सुबह 10 बजे से 1 बजे तक और शाम को 4 बजे के बाद ज्यादा कार्रवाई कर रहे हैं। इस दौरान ट्रैफिक नियम तोड़ते पाए जाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।
ट्रैफिक बूथ नहीं
शहर के चौक-चौराहों पर ट्रैफिक बूथ नहीं है। पहले कुछ चौराहों पर ट्रैफिक बूथ लगे थे, जिससे जवानों को काफी सहुलियत हो जाती थी। अंबेडकर चौक में ट्रैफिक बूथ लगा था। इसी तरह शास्त्री चौक में भी ट्रैफिक बूथ बनाया गया था, जिसमें लाउड स्पीकर से ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता था। स्काईवॉक निर्माण के समय ट्रैफिक बूथ को तोड़ दिया गया।
डीएसपी-ट्रैफिक, रायपुर सतीश सिंह ठाकुर का कहना है – ट्रैफिक जवानों को धूप से बचने छतरी दी गई है। इसके अलावा पानी की बोतल भी पहुंचाया जाता है। चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए नियम तोडऩे वालों के खिलाफ चालान कार्रवाई हो रही है।