ताम्रध्वज : देखिए पीसीसी अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने कई कार्य किए। इसके कारण विधानसभा चुनाव में एक वेग बना और परिणाम आया। निश्चित तौर पर मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में था, लेकिन अंतिम निर्णय मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दिया था। वैसे भी मेरी दावेदारी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने धर्मसंकट की स्थिति बनती है तो यह मेरा दुर्भाग्य होता, इसी वजह से खुद को अलग कर लिया।
ताम्रध्वज (मुस्कुराते हुए) : मैंने विधानसभा चुनाव भी पार्टी अध्यक्ष के कहने पर लड़ा। अब लोकसभा चुनाव लडऩे की बजाय प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करूंगा। वैसे भी हाईकमान ने पिछले ढाई वर्ष में कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी हैं। अभी लोकसभा के लिए घोषणा-पत्र तैयार कराने का जिम्मा सौंपा गया है। आप देखिएगा, जैसे कांग्रेस के घोषणा-पत्र ने विधानसभा चुनाव की हवा बदल दी, वैसे ही लोकसभा चुनाव का घोषणा-पत्र काम करेगा।
ताम्रध्वज : कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने का पहला वादा कैबिनेट की पहली बैठक में ही पूरा कर दिया। कर्ज से परेशान किसान लगातार प्रदेश में आत्महत्या कर रहे थे। कर्जमाफी के लिए हम लोगों ने पहले से ही 10 हजार करोड़ रुपए कैसे आएगा, इस मंथन कर चुके हैं। कर्जमाफी के साथ बजट को संतुलित कैसे किया जाए, इसके लिए अधिकारियों से चर्चा भी की है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का स्पष्ट निर्देश है कि जनभावनाओं के अनुरूप घोषणाओं को पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री का रुख भी साफ है। सभी वादों को पूरा करने के तरीके और समय पर कैबिनेट में विचार करेंगे।
ताम्रध्वज : प्रदेश में शराबबंदी हम चाहते हैं। प्रदेश की महिलाएं भी पक्षधर हैं। मेरा सोचना है कि शराब से बड़े राजस्व की बात उठती है वह गलत है, क्योंकि इससे होने वाले नुकसान आय से कहीं अधिक व्यय भार डालते हैं। लेकिन पूर्ण शराबबंदी से पहले जनमानस को तैयार करना होगा। इसके बिना यह संभव नहीं। ऐसा करने पर शराब तस्करी और नकली शराब के मामले बढ़ जाएंगे। 1963 में शराबबंदी की गई थी, तब शराब के आदी लोग स्प्रिट पीकर बीमार होने लगे थे। प्रतिबंधित दवा का सेवन करने लगे थे। हम ऐसा नहीं चाहते। इसको रोकने की रणनीति बनाने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना होगा।
ताम्रध्वज : ब्यूरोक्रेसी किसी राजनीतिक दल की नहीं होती है। पुलिस हो या प्रशासन सभी अधिकारी सरकार के अधीन होते हैं। सरकार जिसकी होती है और जिस सोच के साथ काम करती है, अधिकारी भी वैसे ही काम करते हैं। जो अधिकारी ठीक काम कर रहे हैं उनको नहीं हटाया जाएगा। सोचिए, इनको हटाएंगे तो मंत्रालय या अन्यत्र स्थानांतरित करना होगा, अगर वे किसी विचारधारा से बंधे हैं तो वहां जाकर भी बदलेंगे तो नहीं। इसलिए कांग्रेस और मुख्यमंत्री दोनों ही इस तरह के बदलाव को जरूरी नहीं मानते हैं। अधिकारियों को बता दिया गया है कि किसी भी मामले या फाइल को रोका नहीं जाए, अधिकारी अपनी टीप या कार्रवाई के साथ उसे समय पर आगे बढ़ाएं ताकि शासन उसपर निर्णय कर सकें।