केस-2 : बिना बीमारी के ऑपरेशन की तैयारी
14 साल की एक बच्ची 16 अगस्त को अस्पताल के स्त्री रोग विभाग में भर्ती थी। उसे राइट लेबियल सूजन के कारण भर्ती किया गया था। अस्पताल ने बवासीर और फिशर के ऑपरेशन के लिए प्लान किया था, जबकि रोगी और उसकी मां ने इस तरह की बबासीर या फिशर संबंधी किसी तकलीफ के होने से इनकार किया।
यह होता है स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस
रीढ़ की हड्डियों के भीतर रिक्त स्थान (कैनाल) का संकुचन स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस कहलाता है, जो रीढ़ के माध्यम से गुजरने वाली तंत्रिकाओं पर दबाव डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार रीढ़ की हड्डी में दर्द होने, पीठ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द होने, सर्वाइकल और स्पाइन ट्यूमर को निकालने की स्थिति बनने पर दवाई और व्यायाम से आराम नहीं मिलने पर ही स्पाइनल सर्जरी की सलाह दी जाती है।
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चौंकाने वाले तथ्य
– तकरीबन सभी भर्ती मरीज पीआरओ लाए थे, जिन्हें सामान्य दर्द व पीठ के दर्द की शिकायत थी। इन सभी का सामान्य रोगियों की तरह ओपीडी में ही इलाज किया जा सकता था। जबकि उन्हें आईसीयू में भर्ती दिखाया गया था।
– मोतियाबिंद के केसों में दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। दो बिस्तरों के बीच की दूरी गाइडलाइन के अनुसार नहीं थी। सर्जरी के बाद एक बिस्तर पर 2-2 मरीज थे। वार्ड गंदा था। मोतियाबिंद के 25 रोगी एक ही क्षेत्र से पीआरओ द्वारा लाए गए थे।
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तमाम गड़बडिय़ां मिली हैं
आयुष्मान भारत योजना के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. श्रीकांत राजिमवाले ने बताया कि अस्पताल के खिलाफ जांच की जा रही है। कई अनियमितताएं मिली हैं। अस्पताल प्रबंधन से कई कागजात मंगाए गए हैं।
हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने कहा
होपवेल हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राजेश नंदा ने कहा कि किसी की जबरदस्ती सर्जरी नहीं की जा सकती है। हमारे अस्पताल में मरीजों का मुफ्त में इलाज होता है, इसलिए इतनी संख्या में सर्जरी हुई है। जांच टीम ने एमआरआई व अन्य की जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसे दे दिया गया है।
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दोषी पाए जाने पर करेंगे कार्रवाई
छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) की स्वास्थ्य सचिव (health secretary) निहारिका सिंह बारिक ने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में है, जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट अभी मेरे पास नहीं पहुंची है। दोषी पाए जाने पर अस्पताल प्रबंधन पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
स्पाइनल सर्जरी की प्रक्रिया जटिल
रायपुर के डीकेएस हॉस्पिटल (raipur DKS hospital) के न्यूरो सर्जन डॉ. संजीव गुप्ता के मुताबिक स्पाइनल सर्जरी की प्रक्रिया उच्च स्तर की एवं जटिल होती है। डॉक्टर दवाओं से ही ठीक करने की कोशिश करते हैं, जब जरूरी होता है तभी सर्जरी की जाती है। केस के हिसाब से स्पाइनल सर्जरी में टाइम लगता है।