जहां पर संघ के पदाधिकारियों ने कलक्टर के नाम पर नजूल अधिकारी एस बंजारे को ज्ञापन दिए। ज्ञापन के माध्यम मांग किया गया है कि सेबी के निर्देश के अनुसार पीएसीएल के संपत्ती का निलामी की उपभोक्ताओं को व्याज सहित राशि वापस किया जाए। ज्ञापन के माध्यम से यह बताया गया है कि उक्त संस्था एक समाज कल्याणकारी राष्ट्रीय पंजीकृत संस्था है जो कि पिछले कई वर्षों से पीएसीएल के निवेशकों के लिए देश के हर क्षेत्र में संघर्ष कर रही है
जिनके द्वारा निवेशकों का पैसा दिलाने के लिए कई बार शासन-प्रशासन एवं राज्य सरकार के साथ ही साथ केंद्र सरकार के सामने धरना प्रदर्शन व रैली के माध्यम से अवगत कराते हुए राशि उपभोक्ताओं को वापस कराने का मांग किया गया लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। जिसके कारण उपभोक्ता परेशान हैं। उपभोक्ताओं को समय पर ब्याज सहित निवेश राशि पीएसीएल के संपत्ती को निलाम कर दिलाए जाने की मांग की गई है।
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कर्मचारियों पर कार्रवाई का विरोध
संगठन के पदाधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि शासन-प्रशासन राशि वापस कराने के लिए पहले करने के बजाए कर्मचारियों व एजेंटों पर कार्रवाई कर रही है। उक्त कार्रवाई को लेकर संगठन ने विरोध जताया है और एजेंट व अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई न करने की मांग की है।
कब क्या हुआ
पूरे भारत में पीएसीएल कंपनी 1996 से शुरू हुई जिसे भारतीय प्रतिभूमि एवं विनिमय बोर्ड ने 199 में कंपनी की योजना को सीआईएस मानकर कंपनी को बंद करने का नोटिस जारी किया। जिसके बाद सिविल रिट याचिका क्रमांक
6735/99,6747/99 के अनुसार कंपनी के खिलाफ जारी नोटिस को 3 मार्च 2003 को दिल्ली हाईकोर्ट में रद्द कर दी वं राजस्थान हाईकोर्ट ने कंपनी के कारोबार को सही मानते हुए 28 नवंबर 2003 को कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया। 2004 में सेबी ने कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट केश दायर किया इसके बाद सेबी ने इसमें कार्रवाई की।