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कागजों में सिमटा स्मार्ट सिटी का सपना

locationसतनाPublished: Sep 14, 2017 12:46:47 pm

Submitted by:

suresh mishra

सरकार की सूची में शामिल होने के बाद एक कदम आगे नहीं बढ़ सका निगम, जश्न के बाद योजनाओं पर अमल करना भूले जिम्मेदार।

Dream of smart city in paper

Dream of smart city in paper

सतना। केंद्र सरकार ने शहर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की सूची में जून में शामिल किया था। निगम सहित पूरे शहर में उत्साह का माहौल था। उस समय लगा था कि जल्द ही शहर की दशा व दिशा बदल जाएगी। लेकिन, स्थिति विपरीत है। जो सपना दिखाया गया था, उस पर काम करना तो दूर निगम ने अमल तक नहीं किया है। करीब १५३० करोड़ के प्रोजेक्ट कागजों में दबकर रह गए हैं। जबकि इनके माध्यम से बुनियादी विकास के साथ-साथ धरोहरों को सहेजने, जलस्रोतों व पार्कों का सौंदर्यीकरण, बेहतर यातायात सहित तमाम बिंदुओं पर काम किए जाने थे।
नए शहर बसाने की थी योजना: सोनौरा क्षेत्र में ६६२ एकड़ में नया सतना विकसित करने की योजना थी। पूरा क्षेत्र ग्रीनफील्ड की तर्ज पर विकसित होना था, जहां २४ घंटे पानी व बिजली सप्लाई होती। साथ ही सीवर लाइन, अंडर ग्राउंड बिजली व फोन तार करने का दावा था। सौर लाइट से शहर को जगमग करने के साथ-साथ टॉकीज, खेल मैदान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, वाईफाई जोन, स्मार्ट पार्किंग, ड्यूप्लेक्स, शॉपिंग सेंटर, हर सड़क पर फुटपाथ जैसी सुविधाएं देने का दावा था। लेकिन, इसको लेकर जो कदम उठाए जा रहे हैं, उससे उम्मीद करना बेमानी है।
ये चुनौतियां हैं सामने
1. सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हैं। गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। शहर को गड्ढामुक्त सड़क करना चुनौती है।

2. शहर में मात्र एक बस स्टैंड है। जबकि मास्टर प्लान के अनुसार चारों दिशा में एक-एक उप बस स्टैंड होना चाहिए।
3. प्रदूषण से राहत दिलाना भी चुनौती होगी। प्रदूषण न करने वाले वीकल को बढ़ावा देना होगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा।
4. टमस व सतना नदी में समय से पहले ही पानी खत्म हो जाता है। इसे रोकने के लिए नए एनीकेट बनाने की जरूरत है।
5. शहर के अंदर संचालित डेयरी, उद्योग व लकड़ी व्यापार को दूर ले जाना होगा। ताकि शहर की सड़कों से मवेशीराज खत्म हो सके।
6. अव्यवस्थित यातायात को पटरी पर लाना, सभी चौराहों के सिग्नल को सही रखना व नियमों का पालन करना चुनौती होगा।
7. प्रमुख सड़क से लेकर नाले-नालियों व गलियों में अतिक्रमण है। इसे हटना भी चुनौती से कम नहीं है।
8. दिन में जलती स्ट्रीट लाइट व रात में अंधेरा शहर की हकीकत है।
9. जलकर व संपत्तिकर वसूली में निगम पीछे है। इसे बढ़ाना होगा। ताकि स्मार्ट सिटी फंड में योगदान दे सके।
10. नगर निगम के पार्कों की बदतर स्थित को दुरुस्त करना होगा।
यह था दावा
सौर ऊर्जा व सौर स्ट्रीट लाइट, अतिरिक्त विकास, अर्बन मोबलिटी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी परिवहन, हार्वेस्टिंग सिस्टम, भूमिगत उपयोगिता वाहिनी, जलापूर्ति, बुनियादी विकास, सीवरेज सिस्टम, बिजली व दूरसंचार, पार्क व झील-तालाब के समीप विकास, ई-गर्वनेंस व स्मार्ट सुविधा, पीएनजी पाइपलाइन।
पहले से चल रहे काम

जलावर्धन योजना- स्थिति: ८० करोड़ का प्रोजेक्ट ११० करोड़ पहुंचा
शहरवासियों को 24 घंटे पानी देने का दावा किया गया था। इस प्रोजेक्ट को करीब 3 वर्ष पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन, अब तक पूरी तरह क्रियान्वित नहीं हो सका है। विलंब होने के कारण ८० करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत ११० करोड़ पहुंच गई।
अमृत योजना- स्थिति: ४२ करोड़ की योजना २० फीसदी देरी से चल रही
42 करोड़ के बजट से एक साल पहले अमृत योजना शुरू हुई। इसके तहत पेयजल पाइपलाइन बिछाने का काम होना था। यह निर्धारित समय से 20 फीसदी विलंब से चल रहा है। ठेका कंपनी को 15 करोड़ से अधिक का काम करना था।
सीवर योजना- स्थिति: २०६ करोड़ की योजना भूमिपूजन तक सीमित
206 करोड़ से शहर में सीवर योजना को अमलीजामा पहनाना था। 5 महीने पहले कार्य प्रारंभ होना चाहिए था, लेकिन भूमिपूजन के बाद कार्य आगे नहीं बढ़ सका। अनुबंध होने के बाद 3 वर्ष के अंदर काम पूरा करना है।
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स- स्थिति: ४ करोड़ का कॉम्प्लेक्स अब तक नहीं बन सका
बस स्टैंड में निर्माणाधीन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी अब तक अधूरा ही है। यह लगभग 4 करोड़ की लागत से तैयार हो जाना था। निगम की लापरवाही के चलते ठेका कंपनी अब तक काम पूरा नहीं कर सकीं। जबकि तय तिथि भी समाप्त हो चुकी है।
पीएम आवास योजना- स्थिति: १८८ करोड़ की योजना एक साल पीछे चल रही
188 करोड़ के बड़े फंड से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तकरीबन 2 हजार मकान बनाने की अनुमति दी गई। यह प्रोजेक्ट भी तय समय से एक साल विलंब चल रहा है। कई बार संबंधित ठेका कंपनी को नोटिस भी जारी हो चुकी है।
आईएचएसडीपी योजना- स्थिति: ७.२५ करोड़ से अब तक नहीं बन पाए गरीबों के आशियाने
योजना के तहत उतैली में 270 मकान गरीबों के लिए बनाए जाने थे। जो 2011 से शुरू कर 2013 में पूर्ण करना था। लागत 7 करोड़ 25 लाख थी। लेकिन यह अधूरा ही रह गया। अब इसी वर्ष के मार्च में यह प्रोजेक्ट बन सका।
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