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प्रतापगढ़

गाजीपुर में भीड़ की हिंसा में मारे गये कॉन्स्टेबल के भतीजे ने मांगा एक करोड़ का मुआवजा, कहा…

प्रतापगढ़ के रानीगंज के रहने वाले थे सुरेश प्रताप वत्स

प्रतापगढ़Dec 30, 2018 / 03:43 pm

sarveshwari Mishra

Constable Suresh Pratap Vats

Constable Suresh Pratap Vats

प्रतापगढ़. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद लौट रहे पुलिसकर्मियों पर हुई भीड़ की पत्थरबाजी में हेड कांस्टेबल सुरेश प्रताप वत्स की मौत हो गई। इस घटना में दो और पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। सुरेश प्रताप वत्स करीमुद्दीनपुर थाने में तैनात थे। सुरेश वत्स यूपी में प्रतापगढ जिले के रानीगंज थाना के लच्छीपुर गांव के रहने वाले थे। घटना की सूचना मिलते ही कांस्टेबल के परिवार में कोहराम मच गया और लोग रातोरात गाजीपुर पहुंच गए। पत्थरबाजी में मारे गए पुलिसकर्मी के परिवार के लिए यूपी सरकार ने 50 लाख रुपये के मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान किया है। लेकिन सुरेश प्रताप वत्स के भतीजे ने 50 लाख की जगह मुआवजे की राशि बढ़ाकर एक करोड़ करने की मांग की है। साथ ही आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने को कहा है। वहीं पिता की मौत पर बेटे विनीत प्रताप सिंह ने पुलिस की सुरक्षा पर सवाल उठात हुए कहा कि जो पुलिस अपनी सुरक्षा नहीं कर सकती उससे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। बस पंचनामा कर दो मुआवजा ले लो, इसके अलावा कुछ नहीं। हम मुआवजा लेकर क्या करेंगे, क्या मुआवजे से किसी की जिंदगी वापस आ जाएगी।
प्रतापगढ़ के रानीगंज के रहने वाले थे सुरेश प्रताप वत्स
हेड कांस्टेबल सुरेश प्रताप वत्स परिवार में पांच भाइयों में चौथे नंबर पर थे। अपने पीछे एक बेटा विनीत सिंह, दो बेटी नेहा और कोमल और पत्नी डिंपल सिंह को छोड़ गए। बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। 17 दिसंबर को पत्नी का इलाज कराने अपने पैतृक गांव आए थे और 18 दिसंबर को ड्यूटी पर ज्वाइन करने चले गए थे। स्थानीय थाना रानीगंज के एसओ आशुतोष त्रिपाठी ने परिजनों को सूचना दी जिसके बाद परिजन गाजीपुर जिला अस्पताल के लिए रवाना हुए।


पीएम मोदी के रैली के बाद ड्यूटी से लौट रहे थे सुरेश प्रताप वत्स
गाजीपुर में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली थी तो दूसरी तरफ सहयोगी पार्टी सुभासपा के साथ-साथ निषाद समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहा था। इसी दौरान रैली ड्यूटी से लौट रहे पुलिसकर्मियों पर भीड़ ने पथराव कर दिया जिसमें कांस्टेबल सुरेश वत्स की जान चली गई। इससे पहले हाल में ही बुलंदशहर में भी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार निर्मम भीड़ हिंसा के शिकार हुए जिसकी जांच अभी भी चल रही है।
उग्र भीड़ के पथराव में हुई थी सिपाही की मौत
निषाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आरक्षण की मांग को लेकर शनिवार को गाजीपुर जिले के अठवा मोड़ चौराहे पर जाम लगाया। इसी वक्त मोदी की रैली खत्म हुई थी और रैली में आईं गाड़ियां मुहम्मदाबाद की ओर जा रही थीं। ऐसे में पुलिसकर्मियों ने निषाद समाज के लोगों को वहां से हटाने का प्रयास किया। तभी भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव में हेड कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स जख्मी हो गए। अस्पताल जाते वक्त रास्ते में उनकी मौत हो गई। वत्स प्रतापगढ़ के लक्षीपुर-रानीपुर के रहने वाले थे और करीमुद्दीनपुर थाने में तैनात थे। भीड़ ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ भी की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मारे गए सिपाही के परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
एक माह में तीन पुलिसकर्मी की हत्या
दिसंबर महीने में बुलंदशहर, प्रतापगढ़ और अब गाजीपुर में यह तीसरी घटना है। जिसमें तीन पुलिसकर्मी मारे गए। तीन दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी को लेकर हिंसा भड़की थी। जिसमें स्याना कोतवाली इंस्पेक्टर सुबोध सिंह राठौर की हत्या की गई। वहीं, प्रतापगढ़ जिले में 27 दिसंबर को जिला कारागार के बंदी रक्षक हरि नारायण त्रिवेदी को बदमाशों ने गोली मार दी। इस मामले में 32 लोगों पर नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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