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प्रतापगढ़

गौतमेश्वर में स्नान और गदालोट की परिक्रमा से होता है कष्टों का निवारण श्रावण मास में लगी हुई है रेलमपेल

प्रतापगढ़श्रावण मास के पहले सोमवार को कांठल के शिवालयों में श्रद्धालुओं की रेलमपेल रही।

प्रतापगढ़Jul 22, 2019 / 07:44 pm

Devishankar Suthar

Pratapgarh

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श्रावण के पहले सोमवार पर शिव मंदिरो में रही श्रद्धालुओं की रेलमपेल
प्रतापगढ़
श्रावण मास के पहले सोमवार को कांठल के शिवालयों में श्रद्धालुओं की रेलमपेल रही। शिवालयों में सुबह से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने शिवजी का अभिषेक किया। जिले के गौतमेश्वर, नीलकंठ महादेव, दीपेश्वर महादेव, सिद्धेरिया महादेव समेत कई शिवालयों में दिनभर श्रद्धालुओं की रेलमपेल लगी रही। वहीं शहर में शाही सवारी निकाली गई। जिसमें कई श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
गौतमेश्वर में रही सुबह से रेलमपेल
आदिवासियों के हरिद्वार गौतमेश्वर में श्रावण के पहले सोमवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने यहां पापमोचनी गंगाकुंड में डुबकी लगाई और शिव का अभिषेक किए। इसके साथ ही यहां मंदिर के गुंबज पर गदालोट पर परिक्रमा भी लगाई। गौतरलब है कि यहां वर्षों से पाप मुक्ति प्रमाण पत्र मिलने की परम्परा आज भी कायम है। यहां जीवों की हत्या के पापों का निवारण करने पर पापमुक्ति प्रमाण मिलता है। पापमुक्ति प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था गौतमेश्वर के अलावा कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। मान्यता है कि गौतमेश्वर मंदिर के ऊपर बने गुंबज पर गदालोट पर लोटने से पापों से मुक्ति मिलती है और कई योनियों में भटकने से भी मुक्ति मिलती है।
दक्षिणी राजस्थान के कांठल, वागड़, मालवा समेत आसपास के इलाकों में आदिवासियों के हरिद्वार कहा जाने वाला गौतमेश्वर तीर्थ अरावली की उपत्यकाओं में अवस्थित है। पुजारी अरुण शर्मा, लोकेश पंडा, गौतमगिरी के अनुसार यह स्थान शृंग ऋषि की तपोस्थली भी रहा है। यहां पापमोचनी गंगाकुड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है। जिस पर शृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है। इसके तहत इस पर अंकित है कि यह स्थान त्रेता युग में महर्षि शृंग की तपोस्थली रही है। उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई। इस पवित्र कुंड में स्नान करने से न्यायशास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम को गो-हत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त हुई थी। यहां गौतमेश्वर मंदिर के बाहर एक शिलालेख भी लगा हुआ है। जो सन् १५६२ ई. का है। यह मंदिर मुगल शैली में बने हुए है।
यहां होती है खंडित शिवलिंग की पूजा
गौतमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग खंडित है। इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है। लेकिन यहां खंडित शिवलिंग की पूजा कई वर्षों से की जा रही है।
सालमगढ़
सावन मास के पहले सोमवार पर शिवालयों में लगा भक्तों का ताता लगा रहा। नीलकंठ महादेव मंदिर, भूतनाथ मंदिर में अभिषेक किए गए।
इसी के साथ कावड़ यात्रा का भी आयोजन किया गया। निकटवर्ती गांव सात महुडी से गौतमेश्वर महादेव तक ग्रामीणोंने कावड़ यात्रा निकाली।
छोटीसादड़ी. सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में बम-बम भोले गूंजा। श्रद्धालु सुबह से शिवमंदिरों में पहुंचने लगे। नगर के प्राचीन शिवालय सहित प्रमुख मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। भक्तों ने भोलेनाथ को आक, धतूरा, भांग, दूध, दही, शहद, यज्ञोपवीत, जल आदि अर्पित किए। श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना के साथ मंदिरों में भोलेनाथ के जयकारे भी गूंजते रहे। नगर के प्राचीन शिवालय में सुबह से शुरू हुआ जलाभिषेक का दौर दोपहर तक चला। यहां श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ को फल, पुष्प आदि भी अर्पित किए। शिवालय परिसर में फलों, पुष्पों आदि के ढेर लगे थे। कई महिला-पुरुषों ने व्रत धारण कर गोविंदेश्वर महादेव, गंगेश्वर महादेव, बुलबुला महादेव, मंशापूर्ण महादेव महेश्वर महादेव, सिद्धेश्वर महादेव आदि मंदिरों पर जाकर विधि-विधान से पूजा -अर्चना कर मनोकामना पूर्ति व्रत रखा। कई देवालयों पर महामृत्युंजय के अनुष्ठान व काल सर्प दोष का निवारण भी किया गया।

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