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ट्रिपल तलाक: क्या राज्यसभा में इस बिल को पास करा पाएगी मोदी सरकार?

ट्रिपल तलाक को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक विधेयक आज राज्यसभा में पेश होगा। लेकिन पास होने को लेकर संख्‍या बल का पेंच फंसा है।
 

नई दिल्लीDec 31, 2018 / 10:57 am

Dhirendra

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ट्रिपल तलाक: क्या राज्यसभा में इस बिल को पास करा पाएगी मोदी सरकार?

नई दिल्ली। तीन तलाक को क्राइम की श्रेणी में लाने वाला ट्रिपल तलाक बिल को मोदी सरकार लोकसभा में पास कराने के बाद आज राज्यसभा में पेश करेगी। लेकिन यह बिल पास हो पाएगा या नहीं इस बात को लेकर आशंका बनी हुई है। ऐसा इसलिए कि राज्‍यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस इसे वर्तमान प्रारूप में पास कराने के पक्ष में नहीं है। वैसे भी ऊपरी सदन में संख्‍या बल विरोधी दलों के पक्ष में है। इस बिल को लेकर भाजपा, कांग्रेस और टीडीपी ने अपने-अपने सांसदों को तीन लाइन वाला व्हिप जारी कर दिया है। इन दलों ने अपने-अपने सदस्यों से आज राज्‍यसभा में उपस्थित रहने को कहा है। अन्य दलों ने भी अपने सांसदों से यह विधेयक सदन में पेश करने के दौरान उपस्थित रहने को कहा है।
सलेक्‍ट कमेटी के पास भेजने की मांग
कांग्रेस ने अपने सांसदों की बैठक बुलाई है। कई विपक्षी दल भी सोमवार की सुबह विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के चैंबर में मुलाकात करके इस मुद्दे पर सदन की अपनी रणनीति बनाएंगे। लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी। ऐसा न करने पर कांग्रेस इस बिल को पास कराने के मूड में नहीं है।
ट्रिपल तलाक से जुड़ी महत्‍वपूर्ण जानकारियां

1. ट्रिपल तलाक विधेयक के वर्तमान प्रारूप को विपक्षी दल स्‍वीकार करने को राजी नहीं हैं। विपक्ष इसे आगे की जांच के लिए प्रवर समिति में भेजने की अपनी मांग को लेकर अड़ा हुआ है। सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू अपनी सास के निधन के कारण सदन का संचालन नहीं कर पाएंगे। इसलिए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सदन की कार्यवाही के संचालन का जिम्मा संभालेंगे।
2. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद राज्‍यसभा में इस विधेयक को पेश करेंगे। राज्यसभा में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा या नहीं इस बात को लेकर स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं है। इसके बावजूद विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है।
3. विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी। राज्यसभा में संख्याबल भी विरोधी दलों के पक्ष में है। यूपीए के पास 112 जबकि एनडीए के पास 93 सदस्य हैं। एक सीट खाली है जबकि बाकी के अन्य दलों के 39 सदस्य न तो एनडीए और ना ही यूपीए से जुड़े हैं। यही दल इस बिल को पास कराने या न कराने में अहम भूमिका निभाएंगे।
4. पीएम मोदी की कैबिनेट ने इस बिल में अगस्‍त में तीन संशोधन किए थे। इसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा। यह संशोधन सरकार ने विपक्ष के दबाव में किया। पहला संशोधन यह था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था। इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी। नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा।
5. दूसरे संशोधन में यह प्रावधान है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा। मूल प्रारूप में इसे गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध माना गया था। पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती थी।
6. तीसरे संशोधन में मजिस्‍ट्रेट के सामने पति-पत्‍नी में समझौते का विकल्‍प भी खुला रहेगा। इस बिल में पहले प्रावधान यह था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा।
7. पीएम मोदी ने 15 अगस्‍त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं।
8. 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं। हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले चार तलाक़शुदा औरतें हैं। 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है। 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है। 2001-2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक देने के मामले 40 फीसदी बढ़े है।
9. ट्रिपल तलाक बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मुस्लिम पक्ष की राय क्यों नहीं ली गई? महिलाओं की परेशानी बढ़ानेवाला बिल, शरीयत के खिलाफ तीन तलाक बिल, शौहर जेल में होगा तो खर्च कौन देगा? जब तीन तलाक अवैध तो सजा क्यों? किसी तीसरे की शिकायत पर केस कैसे? जिसके साथ बच्चे का भला हो, उसके साथ रहे।
10. 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए। इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई।

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