मोदी सरकार ने ये फैसला पांच राज्यों के चुनाव में मिली हार और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षियों के नैरेटिव्स को लोकसभा चुनाव से पहले बदलने के मकसद से लिया है। ताकि लोकसभा चुनाव भाजपा अपने एजेंडे पर लड़े और विपक्ष को चुनाव में पटखनी दे सके। जानकारों की माने तो केंद्र सरकार ने ऐसा कर विपक्ष को बड़ा झटका दिया है। अब विपक्षी दलों को समझदारी से अपने नैरेटिव्स नए सिरे से सेट करने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव के दौरान पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से मिली बढ़त का लाभ उठाना विपक्ष के लिए मुश्किल हो जाएगा। ऐसा इसलिए कि मोदी सरकार के इस फैसले का मकसद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी हार्टलैंड वाले राज्यों में मिली हार के सदमें से पार्टी को बाहर निकालना है।
सरकार के फैसले का सीधा असर यह हुआ है कि मिशन 2019 का नैरेटिव बदल गया है। इससे नई गठजोड़ की संभावनाओं को बल मिला है। ऐसा इसलिए कि मोदी सरकार ने ये फैसला उन गरीब सवर्णों के लिए उठाया है जिन्हें नौकरियों और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की सुविधा हासिल नहीं है। सरकार के इस कदम का विरोध करना विपक्ष के लिए नुकसानदेह हो सकता है। फिलहाल इस निर्णय का नफा-नुकसान किसके पक्ष में जाएगा इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इतना जरूर है कि सरकार ने विपक्षी एजेंडे से ऊपर उठकर अपना एजेंडा सेट करने की कोशिश की है।
सभी धर्मों में 8 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवार और जिनके पास 5 एकड़ से कम की कृषि भूमि है। 1,000 वर्ग फुट से कम का घर या अधिसूचित नगरपालिका क्षेत्र में 100 गज से कम का भूखंड में रहने वालों लोगों को। गैर अधिसूचित नगरपालिका क्षेत्र में 200 गज से कम का भूखंड वाले अगड़े लोगों को इसका लाभ मिलेगा ।