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गोवा: डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा संकट टालने की तैयारी में, रेस में ये नाम

भाजपा की योजना डिप्टी सीएम चुनकर फ्लोर टेस्ट से बचने की है ताकि कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेरना है।

Sep 20, 2018 / 02:43 pm

Dhirendra

parrikar

गोवा: डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा संकट टालने की तैयारी में, रेस में ये नाम

नई दिल्‍ली। जब से गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत बिगड़ी है और एम्‍स में भर्ती हुए हैं तभी से गोवा की सरकार संकट में हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस इस मौके का लाभ उठाकर गोवा में सरकार बनाने के फिराक में है। ऐसा कर कांग्रेस भाजपा से अपना हिसाब भी चुकता करने मूड में है। इस बात को भांपते हुए भाजपा नेतृत्‍व में गोवा डैमेज कंट्रोल की अपनी योजना पर काम शुरू कर दिया है। लेकिन इस राह में भाजपा के सामने सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि आखिलर पर्रिकर की जगह गोवा में संभाले कौन? बता दें कि गोवा में पर्रिकर की तरह तजुर्बे वाला कोई नेता नहीं है और वहां सरकारी कामकाज एक तरह से हैंगिंग मोड में चला गया है।
कांग्रेस ने की फ्लोर टेस्‍ट की मांग
गोवा के सीएम पर्रिकर की खराब तबीयत और नेतृत्‍वविहीन सरकार का लाभ कांग्रेस उठाना चाहती है। कांग्रेस नेतृत्‍व ने इस मामले में कर्नाटक की तरह जल्‍दबाजी दिखाते हुए राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग की है। पार्टी के नेताओं ने इस बाबत एक ज्ञापन भी राज्‍यपाल को सौंपा है। अगर कांग्रेस फ्लोर टेस्‍ट कराने में सफल रही तो भाजपा के लिए विश्‍वासमत हासिल करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए पार्टी नेतृत्‍व डिप्‍टी सीएम बनाकर इस संकट को टालना चाहती है। ताकि कांग्रेस
सीएम और डिप्‍टी सीएम को लेकर मतभेद बरकरार
डिप्टी सीएम को लेकर विश्वजीत राणे का नाम सबसे आगे चल रहा है। वहीं मुख्यमंत्री पद के लिए राज्यसभा सदस्य विनय तेंदुलकर और बहुजन समाज के नेता श्रीपद नाइक का नाम भी आगे आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधायकों का एक धड़ा सुदीन धवलीकर को डिप्टी सीएम पद के रूप में देखना चाहता है। लेकिन धवलीकर के नाम पर पहले भी गंभीर मतभेद देखने को मिल चुका है। इसलिए इन्हें पद सौंपने की संभावना काफी कम दिखती है। धवलीकर का मामला इसलिए फंस रहा है क्योंकि वे महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी पार्टी भाजपा में विलय होना नहीं चाहती है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमोद सावंत का भी नाम आगे आ रहा है, जो विधानसभा के स्पीकर हैं। स्वतंत्रता दिवस के दिन अपनी गैर-मौजूदगी में पर्रिकर ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए सावंत को ही चुना था। अगर तेंदुलकर या नाइक का नाम मुख्यमंत्री के लिए तय किया जाता है, तो कम से कम एक विधायक को इस्तीफा देना पड़ेगा ताकि उपचुनाव कराया जा सके। हालांकि ज्यादातर विधायक नाइक के नाम पर संतुष्ट हैं लेकिन उनके नाम पर अभी पर्रिकर की ओर से हरी झंडी नहीं मिली है।

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