दरअसल, सुरेश पचौरी मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा चार बार राज्य सभा सांसद और दो बार केंद्रीय मंत्री का जिम्मा भी निभा चुके हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में कभी कांग्रेस के भीतर बड़ा ब्राह्मण चेहरा होते थे। लेकिन जिस तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के अंदर गुटबाजी हावी हुई है, उसके बाद वह हाशिए पर चले गए थे। पहले कमलनाथ ने उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी। बाद में जीतू पटवारी ने भी उन्हें हाशिए पर ही रखा। केंद्रीय नेतृत्व ने भी मध्यप्रदेश के निर्णयों में उनकी भागीदारी बंद कर दी थी। उसके बाद सुरेश पचौरी ने कांग्रेस से निकलकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा में वह पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेडी के साथ गए। उनके साथ इंदौर के दो पूर्व विधायक संजय शुुुुक्ला और विशाल पटेल ने भी भाजपा का दामन थामा।
सुरेश पचौरी को लेकर दो सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह राज्य सभा जाएंगे या फिर राज्यपाल बनाए जाएंगे। दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा उनकी जीत को लेकर आश्वस्त है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी राज्यसभा सीट खाली हो जाएगी। उस पर भी सुरेश पचौरी की दावेदारी हो सकती है। या फिर उन्हें पार्टी मध्यप्रदेश से दूर किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर भी भेज सकती है। ऐसे में वह मध्यप्रदेश की राजनीति से भी दूर रहेंगे और उन्हें इनाम भी मिल जाएगा।