एबीवीपी ने जारी किया बयान
एबीवीपी की मीडिया समन्वयक मोनिका चौधरी ने गुरुवार को एक बयान में कहा है कि फर्जी डिग्री मामले की जांच होने तक बसोया को संगठन के सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है। इसके साथ ही बसोया को डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को भी कहा गया है। डूसू छात्रसंघ के चुनाव सितंबर में हुए थे जिसमें एबीवीपी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव के पद पर जीत पाई थी।
डीयू जांच कमेटी कर रही डिग्री की जांच
बसोया की कथित तौर पर फर्जी डिग्री मामले की जांच डीयू कर रहा है। पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान विभिन्न छात्र संगठनों ने डीयू की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे। एनएसयूआइ के दिल्ली मीडिया प्रभारी मोहम्मद अली ने कहा कि हमें कोर्ट पर यकीन है। उम्मीद करते हैं कि 20 नवंबर को सुनवाई में अंकिव का फर्जी डिग्री का सच सबके सामने आएगा। खबर है कि फर्जी डिग्री जैसे गंभीर आरोपों को पार्टी ने छवि खराब करने की वजह बताते हुए अंकिव को बाहर का रास्ता दिखाया है।
अंकिव ने किया आरोपों से किनारा
पिछले दिनों अंकिव बसोया ने खुद पर लग रहे आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई (NSUI) और अन्य पार्टियां डूसू चुनाव परिणाम के बाद से ही बौखलाई हुई हैं। इसी बौखलाहट में वे सोशल मीडिया पर अफवाहें फैला रही हैं। अंकिव का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के दौरान उन्होंने कोई फर्जी दस्तावेज या मार्क्सशीट नहीं लगाई है।
एनएसयूआई ने उठाया था मामला
बता दें कि अंकिव के डूसू के अध्यक्ष बनने के साथ ही उनपर फर्जी डिग्री के आधार पर एडमिशन का आरोप लगा। अखिल भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने बसोया पर विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनके प्रवेश और उनकी नियुक्त पर सवाल उठाया। एनएसयूआई ने दावा किया कि वह तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक द्वारा प्रत्यक्ष रूप से लिए गए एक पत्र के आधार पर यह बात कह रहे हैं। पत्र में बसोया के स्नातक के अंकपत्र को फर्जी बताया गया है, जिस पर विश्वविद्यालय का स्टैंप और लोगो लगा हुआ है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने तमिलनाडु के शिक्षा प्रधान सचिव को लिखित में कहा है कि अंकिव बसोया ने उनके यूनिवर्सिटी में कभी दाखिला ही नहीं लिया।