सुप्रीम कोर्ट ने क्यों फटकारा था?
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट करीब तीन बार बिहार सरकार को बुरी तरह फटकार चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर करारा प्रहार किया था और जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस फटकार से बिहार सरकार की बहुत बदनामी हुई थी और नीतीश कुमार ने खुद का बचाव करते हुए कहा था कि पुलिस खराब काम करती है, तो सरकार को बदनाम होना पड़ता है। पुलिस सुधार के ताजा फैसलों को इसी फटकार का परिणाम माना जा रहा है।
नीतीश कुमार की छवि को लगा बड़ा झटका
बिहार की छवि बिगाडऩे में पुलिस का हाथ
विशेष रूप से जो पुलिसकर्मी ग्रामीण इलाकों में पदस्थ हैं, उनका बुरा हाल है। वे अभी भी सामंतवादी दौर में जी रहे हैं। अनेक पुलिसकर्मी हैं, जो खुद को सरकार या जनता का माई-बाप मानते हैं। अनेक आरोप हैं, थानों से भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता रहा है। पुलिस कहीं जांच या भूमि के नाप-जोख कराने भी जाती है, तो आरोपियों के साथ-साथ पीडि़तों से भी पेट्रोल, पानी, कागज, कलम के पैसे लेती है। पुलिस कतई पेशेवर नहीं है, जिससे बिहार में अपराध को खत्म करने में बहुत परेशानी हो रही है। पूर्व में ऐसे भी आरोप हैं, जब जातिवादी पुलिसवाले नक्सलियों या उग्रवादियों को साथ लेकर जाते थे और किसी हमले में मदद करते थे। यह विभाग अनियमितता और लापरवाही में आकंठ डूबा है।
बिहार में कांग्रेस का क्या होगा?
कैसे सुधरेगी बिहार पुलिस ?
पुलिस और जनता के अनुपात के मामले में बिहार बहुत फिसड्डी है, देश में 33वें नंबर पर आता है। प्रति 869 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। इसमें कोई शक नहीं, पुलिस में अगर सुधार किया जाए, तो बिहार की छवि को बहुत हद तक सुधारा जा सकता है, लेकिन नीतीश कुमार के पास गृह विभाग होने के बावजूद बिहार की पुलिस की राष्ट्रीय रैंकिंग सुधर नहीं रही है।