सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो इस बार बाहरी राज्यों से आने वाले पशुपालक व्यापारियों को परिवहन के लिए ट्रेन की सुविधा मिल जाएगी, जिससे उनकी सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। गौरतलब है कि तीन वर्ष तक के बछड़ों के परिवहन पर रोक होने के चलते बाहरी राज्यों से आने वाले पशुपालकों को बड़े गोवंश के परिवहन में भी जगह-जगह परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि उनके पास मेला अधिकारी द्वारा जारी रवन्ना पर्ची सहित अन्य दस्तावेज होते हैं, लेकिन कुछ समाज कंटक न्यायालय के आदेशों का दुरुपयोग कर व्यापारियों को रास्ते में परेशान करते हैं। पिछले काफी सालों से पशुओं के परिवहन में आ रही परेशानी के चलते धीरे-धीरे नागौर जिले में आयोजित होने वाले पशु मेलों में व्यापारियों की संख्या काफी कम हो गई है। एेसे में यदि वर्षों पहले पशु परिवहन के लिए दी जा रही ट्रेन की सुविधा फिर दे दी जाए तो मेला जीवित हो सकता है।
गत वर्ष हुए थे काफी प्रयास सड़क परिवहन के माध्यम से पशुओं को उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य प्रदेशों में ले जाने के लिए पशुपालकों को रास्ते में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसको लेकर राजस्थान पत्रिका ने पशुपालकों की समस्या उजागर करते हुए जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था। जिसके बाद कलक्टर राजन विशाल ने ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए रेलवे अधिकारियों से बात की थी। हालांकि प्रशासन ने काफी प्रयास किए, लेकिन समय कम होने के कारण समय पर ट्रेन उपलब्ध नहीं हो पाई। इस बार कलक्टर एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने समय रहते ट्रेन के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।
50 व्यापारियों ने दर्ज कराई मांग पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. तेजाराम ने बताया कि रविवार तक उनके पास बाहरी राज्यों से आए ५० पशुपालक व्यापारियों ने ट्रेन के लिए अपनी मांग दर्ज कराई है। हालांकि गत वर्ष व्यापारियों ने ४० बोगी की ट्रेन उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की रेलवे अधिकारियों से हुई बातचीत में यह बात स्पष्ट हो गई है कि ट्रेन के लिए करीब एक हजार पशुओं का परिवहन करना होगा। संयुक्त निदेशक ने बताया कि सोमवार को और अधिक व्यापारियों के मेले में पहुंचने की सूचना है, जिनसे बातचीत करने के बाद अंतिम डिमांड तैयार कर रेलवे को दी जाएगी, ताकि उसी के अनुरूप बोगियों की मांग रखी जा सके।
केन्द्रीय राज्य मंत्री चौधरी ने ली जानकारी रविवार को नागौर दौरे पर आए केन्द्रीय राज्य मंत्री सीआर चौधरी ने पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक से इस सम्बन्ध में बात कर वस्तुस्थिति जानी। मंत्री ने मेले में अब तक आए पशुओं एवं व्यापारियों की जानकारी लेने के बाद पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए रेलवे अधिकारियों से भी बात की है।
1214 पशु पहुंचे रामदेव पशु मेले के दूसरे दिन रविवार शाम तक कुल १२१४ पशु पहुंचे। इनमें ७९७ गोवंश राजस्थान से एवं १०५ गोवंश राज्य के बाहर से आया है। इसी प्रकार ५४ भैंस वंश, २२७ ऊष्ट वंश, ३१ अश्व वंश राजस्थान से मेले में पहुंचा है। हालांकि गत वर्ष की तुलना में इस बार काफी कम पशु आए हैं। गत वर्ष मेले के दूसरे दिन ५ हजार १८५ पशुओं की आवक हुई थी, जिसकी तुलना में इस बार मात्र १२१४ पशु ही आए। इसका मुख्य कारण व्यापारियों को परिवहन में आने वाली परेशानी है। एेसे में यदि ट्रेन की सुविधा मिल जाए तो मेले को जीवनदान मिल सकता है।
व्यापारियों की मांग जरूरी पशुओं के परिवहन के लिए व्यापारियों की मांग जरूरी है। व्यापारियों की डिमांड के अनुसार ही हम रेलवे अधिकारियों से ट्रेन की मांग कर सकते हैं। पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे समय पर व्यापारियों से मांग लेकर रेलवे को सूचित करें, ताकि समय पर ट्रेन उपलब्ध हो सके।
– राजन विशाल, कलक्टर, नागौर