बोधगया विस्फोट : 19 जनवरी
बोधगया में 19 जनवरी 2018 को जब बौद्ध गुरु दलाई लामा मौजूद थे, तब आतंकियों ने विस्फोट को अंजाम दिया। जांच एजेंसियों ने महाबोधी मंदिर के प्रांगण में शाम के समय हुए विस्फोट के लिए बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमातुल मुजाहिदीन को जिम्मेदार बताया। इस विस्फोट से न केवल सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुली, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी भी हुई।
भोजपुरी सिनेमा के लिए कैसा रहा साल 2018
भागलपुर तनाव : 5 मार्च
भागलपुर में 5 मार्च को एक जुलूस के बाद हिंसा हुई, जो 5 जिलों में फैल गई। 100 के करीब घायल हुए, 150 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेना पड़ा। पूरी कड़ाई के बाद ही शांति बहाल हो सकी। बिहार में सांप्रदायिक सद्भाव की तारीफ होती रही है, लेकिन इस घटना से सद्भाव की पोल खुल गई।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड : 31 मई
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 44 बच्चियों का रसूखदारों द्वारा शोषण चल रहा था। बहुत दबाव पड़ा, तब पुलिस ने कार्रवाई की, 11 आरोपियों के खिलाफ 31 मई को एफआईआर दर्ज होने के बाद पूरे देश में चर्चा हुई। बिहार सरकार को अपनी मंत्री मंजू वर्मा के खिलाफ भी कदम उठाना पड़ा। मंत्री की गिरफ्तारी हुई। इस कांड की लचर जांच और असंवेदना के कारण बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट तीन बार फटकार लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे बिहार में बालिका गृहों की जांच की जा रही है। ये गृह बालिकाओं के शोषण के केन्द्र बने हुए हैं।
भीड़ ने 3 को मार डाला : 7 सितंबर
देश के लिए भीड़ की हिंसा चिंता का विषय बन गई है। बेगूसराय में 7 सितंबर को भीड़ बेकाबू हो गई। एक बच्चे के अपहरण का तीन लोगों पर आरोप लगाया। हजारों लोग जुट गए और तीनों आरोपियों को पीट-पीटकर वहीं मार डाला। यह पूरे देश को डरा देने वाली घटना थी, जिससे बिहार की छवि पर गहरा दाग लगा।
गुंजन खेमका हत्याकांड : 19 दिसंबर
पटना के युवा व्यवसायी गुंजन खेमका को 19 दिसंबर को सडक़ पर कार में गोलियों से भून दिया गया। गुंजन भाजपा के पदाधिकारी थे, बिहार के बड़े उद्योगपति गोपाल खेमका के बेटे थे। वर्ष के लगभग अंत में हुई इस घटना ने बिहार में व्यवसायियों को बहुत नाराज कर दिया है। व्यावसासियों ने कार्रवाई के लिए पटना में मार्च भी निकाला है।