स्मृति ने खजुराहो सीट छोडऩे पर भी कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। कहा, हार के डर से मैदान छोडऩा कांग्रेस की फितरत है। इनका गठबंधन एक-दूसरे की राजनीतिक सत्ता का गठबंधन है। विस चुनाव में यही लोग एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। सपा प्रत्याशी बदलने पर कहा, जिनकी नीयत हर दिन बदलती है, उनका प्रत्याशी बदलना कोई बड़ी बात नहीं है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “उस क्षेत्र में कभी भारतीय जनता पार्टी का पटका पहनना मतलब मौत का सामान घर लाना… ऐसा वातावरण हुआ करता था. उस क्षेत्र में माथे पर तिलक लगाना, होठों पर राम का नाम होना अपने आप में एक राजनीतिक अभिशाप माना जाता था.”
वायनाड में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पर्चा भरा. इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जिस क्षेत्र की मैं प्रतिनिधि हूं उस क्षेत्र में कांग्रेस का हाथ तो था ही, लेकिन साथ-साथ साइकिल भी चलती थी. मैं उस क्षेत्र से हूं जहां पर हाथ को साफ किया गया, साइकिल को पंचर किया गया. ये जमाना है वंदे भारत का वो आज भी साइकिल पर चलते हैं.”
स्मृति ईरानी ने तंज कसते हुए कहा, “हार के डर से भागने की कांग्रेस की फितरत हो गई है, ये अमेठी वालों से पूछ लो. जिसके पक्ष में सत्य हो, लोकतंत्र हो उसकी जीत पक्की है. एक समय में जिस पार्टी के सिर्फ दो सांसद थे आज वह 400 पार का नारा लगाने की क्षमता रखता है और विनम्रता के साथ वोटर से वोट मांगता है. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस वोट पड़ने पहले ही अपनी हार स्वीकर कर चुकी है.”